बिच्छू घास के नाम से विख्यात पहाड़ में जिसे कंडाली या सिसुण के नाम से जानते हैं अब उत्तराखंड के अलावा देश और दुनिया में भी छा गया है। आजकल शहरों में भी कंडाली के साग को उपलब्ध कराने की मुहीम चल रही है। इसी को देखते हुए हम आपके लिए कंडाली का साग या कापिली बनाने की रेसिपी लेकर आये हैं। यकीन मानिए आप एक बार इसे खा लें तो ज़िन्दगी भर इसका स्वाद नहीं भूल सकते। आपको लगेगा की दुनिया में इससे स्वादिष्ट दूसरा कोई हरा साग नहीं है। इसकी कोंपलों का साग मुख्यतः सर्दियों में ही खाया जाता है।
तो चलिए जानते हैं इसके साग बनाने की आसान रेसिपी-
कंडाली का साग बनाने के लिए जरूरी सामग्री-
कंडाली की नई मुलायम कोपलें (250 ग्राम)
थोड़े भिगोये हुए चावल (आलण के लिए) पहाड़ों पर तब इसका इस्तेमाल किया जाता है जब घर में बहुत अधिक सदस्य हैं और बहुत सारा साग बनाना हो वैसे कुछ लोग इसका स्वाद बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करते हैं)
तेल या घी (तड़का लगाने के लिए )
साबुत लाल मिर्च
जख्या तड़का के लिए हींग
दो हरी मिर्च (कटी हुई)
(धनिया पाउडर, हल्दी, नमक)
कंडाली का साग बनाने की विधि-
अगर कंडाली पर ज्यादा कांटे नहीं हैं तो सबसे पहले कंडाली को एक बर्तन पर उबाल लें जिस तरह आप पालक को उबालते हैं उसी तरह। अगर कांटे अधिक हैं तो एक बार आग पर हल्के जला दें ध्यान रहे कि पत्तियां न झुलसे। उसके बाद पानी में उबाल दें।
उबली हुई कंडाली को सिल-बट्टे से पीसें या मिक्सी पर बारीक़ पीस लें। आप चाहे तो करछी से कूट-कूट के भी बारीक़ कर सकते हैं। इसके बाद भीगे हुए चावल को भी बारीक़ पीस लें। इस घोल को थोडा सा धनिया पाउडर के साथ घोल के साथ अच्छे से मिक्स करके रख लें।
कढ़ाही पर तेल/घी गर्म करें, तेल गर्म होने पर पहले उसमें जरुरत अनुसार लाल मिर्च भूनना न भूलें, मिर्च भुन कर अलग निकाल दें, और अब तडके के लिए उसमें जख्या, हिंग डालें और हल्दी डालें फटाफट कंडाली का घोल उसमें डाल दें कंडाली की खुशबू से वातावरण महक उठेगा। अब आवश्यकता के अनुसार सिर्फ नमक डालें और करछी से अच्छी तरह हिलाते या घुमाते रहें। फिर चांवल के आलण को भी डाल लें। पानी अंदाज का रखें कापिली न ज्यादा पतली हो न ज्यादा गाढ़ी। अच्छी तरह पकाएं कापिली तैयार है। परोसते समय घी से ज्यादा जायका आता है और हाँ भूनी पहाड़ी करारी मिर्च भी न भूलें।
कंडाली खनिज, विटामिन व औषधि का भण्डार :-
कंडाली में लौह तत्व अत्यधिक होता है। खून की कमी पूरी करती है। इसके अलावा फोरमिक ऐसिड , एसटिल कोलाइट, विटामिन ए भी कंडाली में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसमें चंडी तत्व भी पाया जाता है। गैस नाशक है आसानी से हज्म होती है। कंडाली का खानपान पीलिया, पांडू, उदार रोग, खांसी, जुकाम, बलगम,गठिया रोग, चर्बी कम करने में सहायक है। कंडाली कैंसर रोधी है, इसके बीजों से कैंसर की दवाई भी बन रही है। कंडाली की पतियों को सुखाकर हर्बल चाय तैयार होती है। कंडाली की चाय को यूरोप के देशों में विटामिन और खनिजों का पावर हाउस माना जाता है, जो रोग प्रतिरोधक शक्ति को भी बढ़ाता है। इस चाय की कीमत प्रति सौ ग्राम 150 रुपये से लेकर 290 रुपये तक है। कंडाली से बनी चाय को भारत सरकार के एनपीओपी (जैविक उत्पादन का राष्ट्रीय उत्पादन) ने प्रमाणित किया है।