कर्ण महाभारत का काफी लोकप्रिय पात्र हैं। महाभारत में कर्ण को दानवीर कर्ण की संज्ञा दी गई थी। कर्ण को उसके पॉजिटिव रोल के लिए तो जाना ही जाता है। पर कर्ण ने महाभारत में पांडवों के विरूद्ध युद्ध मे साथ दिया था। जिस कारण उसे नकारात्मक पात्र कहा जाता है। दानवीर कर्ण का मंदिर भारत में देओरा,नेटवर उत्तरकाशी में हैं।
कर्ण मंदिर अन्य मंदिरों से काफी अलग है इसकी बनावट का तरीका भी अन्य मंदिरों से अलग है। कर्ण मंदिर पर लोगों की मान्यता है कि यहां पर मंदिर की दीवारों पर सिक्के फेंकने पर मन्नत पूरी होती है।
उत्तरकाशी के टोंस घाटी के नेटवर गांव के लोगों के लिए ये बहुत गर्व की बात है कि देश में एकलौता कर्ण का मंदिर उनके गांव में है। गांव वालों का कहना है कि कर्ण हमारे आदर्श हैं।
हम उनसे प्रेरणा लेकर दान करके एक-दूसरे का सहयोग करते हैं और धार्मिक कार्यों में सहयोग करते हैं। उनकी प्रेरणा से ही गांव में दहेज़ पर रोक लगा दी गयी है और बलि को वर्जित कर दिया गया है।
आपको बता दें कि कर्ण से बड़ा कोई दानी नहीं रहा है। उन्हें दानवीर के नाम से भी जाना जाता है। उत्तरकाशी के इस मंदिर में हर साल कई श्रद्धालु इस मंदिर में कर्ण देव से कई मन्नतें मागते हैं। ')}