गुरुवार की सुबह ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो गए। इस अवसर पर हजारों श्रद्धालु मौजूद रहे। इस साल छह मई को कपाट खोले गए थे वहीं, 27 अक्टूबर को भैया दूज के दिन बंद कर दिए गए हैं। आज सुबह चार बजे से कपाट बंद करने की समाधि पूजन प्रक्रिया शुरू हुआ। पुजारी टी गंगाधर लिंग ने भगवान केदारनाथ के स्वयंभू ज्योर्तिलिंग को श्रृंगार रूप से समाधि रूप दिया गया। ज्योर्तिलिंग को बाघंबर, भृंगराज फूल,भस्म, स्थानीय शुष्क फूलों- पत्तों आदि से ढका गया। इसके साथ ही भकुंट भैरव नाथ के आह्वान के साथ ही गर्भगृह तथा मुख्य द्वार को जिला प्रशासन की मौजूदगी में बंद किया गया। साथ ही पूरब द्वार को भी सीलबंद किया गया। इसके बाद ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान केदार के दर्शन हो सकेंगे। फिर आने शिवरात्रि के पावन पर्व पर अगले साल कपाट खुलने की तिथि तय की जाएगी।
बता दें कि कपाट बंद होने के बाद भगवान केदारनाथ को चल विग्रह डोली ऊखीमठ ले जाया जाता है यहां ओंकारेश्वर मंदिर में अगले छह माह तक बाबा केदार की पूजा की जाती है। बता दें कि इस वर्ष रिकॉर्ड पैंतालीस लाख से अधिक श्रद्धालु चारधाम पहुंचे। केदारनाथ धाम में भी इस साल सबसे ज्यादा श्रद्धालु पहुंचने का रिकॉर्ड भी बना। आपको बता दें कि आज ही यमुनोत्री धाम के कपाट दोपहर 12 बजकर नौ मिनट पूजा-अर्चना व विधि विधान के साथ बंद किए जाएंगे। बुधवार को गंगोत्री धाम के कपाट बंद हो चुके हैं। वहीं, बदरीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर को शाम 3 बजकर 35 मिनट पर बंद हो जाएगे। द्वितीय केदार तुंगनाथ जी के कपाट सात नवंबर तथा द्वितीय केदार मद्महेश्वर जी के कपाट 18 नवंबर को बंद हो जायेंगे।