किमसार उत्तराखंड के पौड़ी जिले ( यमकेश्वर ब्लॉक ) का एक रमणीय गांव है, इस गांव को उत्तराखंड की मिनी विलायत नाम से जाता जाता है। जिस क्षेत्र में यह पड़ता है { डांडामंडल } वहां का सबसे खूबसूरत गांव है। अगर बात करे प्राकृतिक सौन्दर्य की तो इसकी कोई तुलना नहीं ! यह सुंदरता जितनी प्रकृति ने बनायी उतनी ही यहाँ के लोगो ने संजो के राखी है।
यह गांव चारो और पहाड़ो से घिरा हुआ होने के बावजूद भी ऊंचाई पर स्थित है। स्वच्छ वातावरण होने पर इस गांव से आप हिमालय की चोटियां भी देख सकते है। यहाँ का मोषम अधिकार सामान्य रहता है ना ही अधिक गर्मी तो ना ही अधिक सर्दी। अब तो आलम यह है की शहरो के लोगो दिन प्रतिदिन यहाँ की और आकर्षित होकर रोजाना पर्यटक बन यहाँ आरहे हैं. गांव के मध्य में महदेव का सूंदर और भव्य मंदिर स्थित है जो यहाँ की शोभा बढ़ाता है।
अब बात करते हैं उस जटिल समस्या की जो यहाँ के गांव वालों ने अपने बलबूते पर दूर की…
इतनी सारी खूबियाँ होने के बावजूद भी इस गांव में एक कमी किसी दाग से कम नही था इर वो समस्या कुछ और नही बल्कि पानी का गांव से बहुत दूर होना, गांव पानी की बडी किल्लत थी क्योंकि पानी का स्रोत गांव से काफी दूर है। गर्मियों में ये हालात बहुत गम्भीर हो जाते थे। इस समस्या से निपटने के लिए गांव वालों ने इसके लिए सरकार से मदद मांगी लेकिन सरकार की तरफ से सिवाए आस्वासन के कुछ हाथ नही लगा। लेकिन यहां के निवासियों ने हार नही मानी और खुद ही गांव में पानी की समस्या दूर करने को दूर स्रोत से पानी गांव में पहुचाने का बीड़ा उठा लिया।
ओर लक्ष्य बनाया गांव में किसी भी कीमत में पानी लाना – गांव वालों ने आम बैठक की तो इसकी लागत लगभग 12-15 की अनुमानित हुई। अब बात इतने पैसे कहाँ से आये। तो इसके लिए गांव वालों ने आपस ने अपनी क्षमता अनुसार पैसे इकट्ठे किये। गांव के कुछ बड़े ओदे वाले लोगो ने इसमें बड़ा योगदान दिया। इस योजना की नींव रखी गयी। यहां की मातृशक्ति ने खुद ही उठाये खुदाई के हथियार, अब सबसे पहले जो जरूरत थी वो थी स्रोत के पास बिजली कनेक्टिविटी। अब गांव वालों की लगन देखते हुवे इसके लिए इस विधानसभा की विधायक ने बिजली कनेक्शन ओर ट्रांसफार्मर हेतु कुछ सहायत राशि प्रदान की। बाकी का खर्चा गांव वालों ने उठाया। जिसमे काफ़ी बड़ा वाटर टैंक, पाइप लाइन्स, उनकी फिटिंग, समरसीवर मोटर व निर्माण सामाग्री।
इसके लिए कई दिनों तक लोगों ने बारी बारी से श्रमदान भी किया। और कई कठनाइयों इर पैसों की किल्लत के बावजूद आखिर कार लोगों की मेहनत रंग लायी इर गांव के हर घर मे पानी पहुँच गया। आज हर घर मे रोज निर्धारित समय से पानी पहुचता है। कहते हैं ना जब इंसान कुछ ठान लेते है तो उन सपनों को पूरा होना ही होता है। बस फर्क पड़ता है तो मजबूत इरादों से। हालांकि लोगों की मेहनत, दृढ़ इच्छाशक्ति और लगन को शब्दों में नही लिखा जा सकता। आज ये गांव एक बार फिर अपने पुराने अस्तित्व में लौटता नज़र आरहा है। लोगो के सूखे आंगन अब हरे भरे नज़र आते हैं। बच्चो को पानी के लिए दूर नही जाना पड़ता।
काश की सरकार ऐसे गांव को सम्मानित करती। सरकार अगर अपनी जिम्मेदारी समझती तो ये गांव आज किसी स्वर्ग से कम नहीं होता..
( लेख – दीपक कण्डवाल ) ')}