द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर मंदिर के कपाट 21 मई को आम श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिए जायेंगे। ग्रीष्मकाल के लिए छह माह मद्महेश्वर धाम में ही बाबा की पूजा-अर्चना होगी। कपाट खोलने की प्रक्रिया शुक्रवार से शुरू हो जायेगी। अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मंदिर में छः माह शीतकाल प्रवास के बाद भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली ओंकारेश्वर मंदिर के गर्भ गृह से बाहर आकर सभा मण्डप में विराजमान होगी, जहां पर श्रद्धालुओं द्वारा भगवान मदमहेश्वर को नये अनाज का भोग लगाकर विश्व कल्याण व क्षेत्र के खुशहाली के कामना की जायेगी।
जानकारी देते हुए मदमहेश्वर धाम के प्रधान पुजारी शिव शंकर लिंग ने बताया कि 19 मई को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर से प्रस्थान कर डंगवाड़ी, ब्रह्यमणखोली, मंगोलचारी, सलामी, फाफज, मनसूना, बुरूवा, राऊलैंक, उनियाणा यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मंदिर रांसी पहुंचेगी।
मई 20 को भगवान मद्महेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली राकेश्वरी मंदिर रांसी से प्रस्थान कर दूसरे व अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए गौंडार गांव पहुंचेगी। उन्होंने बताया कि 21 मई को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली ब्रह्यमबेला पर गौण्डार गांव से प्रस्थान कर बनातोली, खटारा, नानौ, कूनचट्टी मैखम्भा होते हुए मदमहेश्वर धाम पहुंचेगी तथा डोली के धाम पहुंचने पर भगवान मद्महेश्वर धाम के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जायेंगे। ')}