पिछले साल जून में जम्मू-कश्मीर में एक ऑपरेशन के दौरान दो कट्टर आतंकवादियों को मार गिराने के लिए लिए मेजर अरुण कुमार पांडे को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है। राष्ट्रीय राइफल्स की 44 वीं बटालियन के मेजर अरुण कुमार पांडे लखनऊ निवासी श्रीकांत पांडे और लीला पांडे के पुत्र हैं उन्होंने साल 2006 में घोड़ाखाल स्कूल से शिक्षा पूरी की थी। उन्हें सम्मान मिलने के बाद सोशल मीडिया पर सैनिक स्कूल घोड़ाखाल के तमाम छात्र मेजर पांडे को बधाई दे रहे हैं। मेजर अरुण को शौर्य चक्र से सम्मानित किये जाने पर पूरा उत्तराखंड अपने लाल पर गर्व कर रहा है।
अपनी वीरता का परिचय देकर दो आतंकियों को किया था ढेर-
मेजर अरुण पांडेय ने अपनी वीरता का परिचय देकर दो आतकियों को मौके पर ही ढेर कर दिया, पिछले वर्ष 9 जून, 2020 को मेजर अरुण कुमार पांडे को जम्मू-कश्मीर के एक गांव में पांच आतंकवादियों के बारे में खुफिया सूचना मिली थी। वे घने अंडरग्राउंड वाले विशाल बाग में आतंकवादियों के संभावित स्थान का पता लगाने में सक्षम थे। मेजर पांडे ने एक गैप फ्री घेरा बनाया और आतंकवादियों की तलाश का नेतृत्व किया। उन्होंने घने अंडरग्राउंड में संदिग्ध हरकत देखी, जिसकी ओर वह अपने साथी सैनिकों के साथ चतुराई से आगे बढ़े। अचानक, उन पर अंधाधुंध गोलियां चलाई गईं, जिसका उन्होंने जवाबी कार्रवाई करते हुए जमीन की तहों में कवर कर लिया। वह आतंकवादी रेंगता रहा, जिसे उन्होंने मार गिराया। ऐसा करते हुए वह एक और आतंकी के निशाने पर आ गए। मेजर अरुण तेजी से बगल में लुढ़क गए और उसे करीब से घेरने के लिए आगे बढ़े, जिससे वह निष्प्रभावी हो गया। उसके बाद उन्होंने दो आतंकियों को ढेर कर दिया।
सेना द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, इस साल वीर सैनिकों को कुल छह शौर्य चक्र प्रदान किए गए हैं, जिनमें से एक मरणोपरांत है। मेजर अरुण कुमार पांडे, अलावा मेजर रवि कुमार चौधरी, कैप्टन विकास खत्री, कैप्टन आशुतोष कुमार (मरणोपरांत), सिपाही नीरज अहलावत और राइफलमैन मुकेश कुमार को उनकी बहादुरी के लिए शौर्यचक्र से सम्मानित किया गया। बार टू सेना मेडल (वीरता) चार को, सेना मेडल (वीरता) 116 को दिया गया है, जिसमें 15 मरणोपरांत, और मेंशन-इन-डिस्पैच 28 सेना अधिकारियों को शामिल हैं, जिनमें तीन मरणोपरांत हैं।