इसी जज्बे से सरहदें सलामत हैं। वीर प्रसूता इस भूमि पर कई परिवार ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपनों को खोया पर हौसला नहीं खोया। प्रदेश में कई बेटियां ऐसी हैं जिन्होंने पति के शहीद होने के बाद सेना की वर्दी पहनकर शहीद को सबसे बड़ा सम्मान दिया है, अब इन्ही बेटियों में एक और नाम जुड़ गया है। हम बात कर रहे हैं शहीद मेजर विभूति ढौंडियाल की पत्नी अंकिता ढौंडियाल की। आज मेजर विभूति की बरसी है और उन्हें याद करते हुए हम सबसे पहले उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। अब आगे पढ़िए पूरी खबर-
18 फरवरी, 2019 को पुलवामा के पिंगलिना गांव हुए एनकाउंटर में मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल शहीद हो गए थे, मेजर विभूति देहरादून के रहने वाले थे, मेजर विभूति की शादी हुए सिर्फ 10 महीने हुए थे, 18 अप्रैल, 2018 को निकिता के साथ सात फेरे लिए थे। निकिता जब आखिरी बार अपने पति से मिलीं तो ये मुलाकात बेहद भावुक करने वाली थी। जिसने भी देखा वो खुद को रोने से नहीं रोक पाया।
पति की शहादत के बाद अंकिता भी उनकी राह देश सेवा की राह चल पड़ी हैं। निकिता अब जल्द सेना में अफसर नजर आएंगी। खबर के अनुसार, पति की शहादत के बाद निकिता ने आर्मी ज्वाइन करने की इच्छा जताई थी। सेना के अफसरों ने प्रोत्साहित किया तो तैयारी में जुट गई और इसमें सफल भी हुई। निकिता ने सभी औपचारिक टेस्ट और इंटरव्यू पास किए। मंगलवार को अंकिता मेजर विभूति के बरसी के मौके पर देहरादून स्थित निवास पर लौटेंगी जहां पर मेजर विभूति श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया है। मूलरूप से पौड़ी के ढौंडी गांव निवासी मेजर विभूति पिछले साल जनवरी के पहले सप्ताह में छुट्टियां खत्म कर डयूटी पर लौटे थे। मार्च में विभूति ने घर आने का वादा किया था। लेकिन वो अपना यह वादा पूरा नहीं कर सके।
मेजर विभूति के मन में बचपन से ही सेना में जाने का जज्बा था, कक्षा सात से ही विभूति ने सेना में जाने की कोशिशें शुरू कर दी थीं। जब वे सातवीं कक्षा में थे तब उन्होंने राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज (आरआईएमसी) में भर्ती की परीक्षा दी। लेकिन चयन नहीं हुआ। 12वीं में एनडीए की परीक्षा दी लेकिन फिर भी चयन नहीं हुआ। ग्रेजुएशन के बाद उनका चयन हुआ और ओटीए चेन्नई में प्रशिक्षण हासिल किया। वर्ष 2012 में पासआउट होकर उन्होंने कमीशन प्राप्त किया था।
')}