देहरादून – 10 नवम्बर 2025: एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी (MIT-WPU) ने वर्ल्ड टेक्नोलॉजी (WT) ग्रुप के सहयोग से वर्ल्ड टेक्नोलॉजी समिट 2025 इंडिया (WTS25) का सफल आयोजन पुणे स्थित वर्ल्ड पीस डोम में किया। इस दो दिवसीय वैश्विक सम्मेलन में 25 देशों के 200 से अधिक प्रतिनिधियों — जिनमें नीति निर्माता, शोधकर्ता, उद्योग जगत के नेता और नवप्रवर्तक शामिल थे — ने भाग लिया।
इसका उद्देश्य तकनीक, विज्ञान और नवाचार के माध्यम से वैश्विक चुनौतियों का समाधान खोजते हुए एक अधिक जुड़ा हुआ और सतत भविष्य बनाना था। “Innovation to Impact: Accelerating Global Connectivity” विषय पर केंद्रित इस सम्मेलन ने इस बात पर बल दिया कि कैसे उभरते नवाचार डिजिटल विभाजन को कम कर सकते हैं और वैश्विक समुदायों के लिए नए अवसर सृजित कर सकते हैं।
दो दिनों तक चले संवादों में प्रतिभागियों ने एआई, रोबोटिक्स, क्वांटम कंप्यूटिंग, बायोटेक्नोलॉजी, स्वच्छ ऊर्जा और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर में हो रही प्रगति पर चर्चा की। यह चर्चाएँ चार वैज्ञानिक क्षेत्रों — डेटा साइंसेज, अर्थ साइंसेज, लाइफ साइंसेज और इंडस्ट्रियल साइंसेज — के अंतर्संबंध पर आधारित थीं। इन सत्रों ने यह रेखांकित किया कि तकनीक, मानव रचनात्मकता और सहानुभूति का संगम समाज की जिम्मेदार और समावेशी सेवा कैसे कर सकता है।
WTS25 इंडिया की कोऑर्डिनेशन कमीशन की चेयर, डेबोरा पंडित-सवाफ ने कहा,
“वर्ल्ड पीस डोम के नीचे खड़े होकर बोलना मेरे लिए अत्यंत सम्मान की बात है — यह वह स्थान है जहां बुद्धि, विज्ञान और दर्शन एक साथ आते हैं। एक ऐसे युग में जहाँ मशीनें और डेटा प्रमुख हैं, वहीं मानव रचनात्मकता, सहानुभूति और जागरूक निर्णय हमें एक शांतिपूर्ण भविष्य की ओर ले जाएंगे। भारत, अपनी समृद्ध विरासत और असाधारण युवाओं के साथ, विज्ञान और अध्यात्म, पूर्व और पश्चिम के बीच सेतु का कार्य करता है। हमारे युवा नवप्रवर्तकों के लिए मेरा संदेश है — आपके पास पहले से ही प्रेरणा, साहस, बुद्धि और भावनात्मक समझ है। यह आपका moonshot moment है — इसे एक उज्जवल और समावेशी भविष्य के निर्माण में लगाएँ।”
इसरो (IISU) के पूर्व निदेशक माधव वासुदेव ढेकणे ने अपने कीनोट भाषण में भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए कहा,
“1975 से 1980 के बीच के प्रारंभिक सैटेलाइट मिशनों से लेकर, जिन्होंने भारत के सबसे सुदूर गाँवों तक शैक्षणिक टेलीविज़न पहुँचाया, से लेकर 2008 के चंद्रयान, मंगलयान और सूर्य अध्ययन हेतु आदित्य-एल1 जैसे अभियानों तक — भारत ने असाधारण वैज्ञानिक दृष्टि और सहयोग का परिचय दिया है। अब तक 133 से अधिक अंतरिक्ष यान और री-एंट्री मिशन, राष्ट्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम, गगनयान और 2040–2047 तक ‘अंतरिक्ष स्टेशन’ की योजना के साथ, भारत अंतरिक्ष अन्वेषण के भविष्य को परिभाषित कर रहा है। हमारा आदर्श वाक्य वही है — To strive, to seek, to find, and not to yield — क्योंकि आकाश ही हमारी सीमा नहीं है।”
एमआईटी-डब्ल्यूपीयू के एक्जीक्यूटिव प्रेसिडेंट डॉ. राहुल वी. कराड ने तकनीक और मानव मूल्यों के बीच संतुलन के महत्व पर जोर देते हुए कहा,
“पिछले सौ वर्षों में मानव ने बेहतर विचारों और समाधानों का निर्माण किया है — लेकिन अंततः यह इस पर निर्भर करता है कि हम उनका उपयोग मानवता के हित में कैसे करते हैं। तकनीक का महत्वपूर्ण स्थान है, परंतु हमें अपने emotional quotient का सही दिशा में उपयोग करना चाहिए। पश्चिम को हमसे अध्यात्म और भावनात्मक बुद्धिमत्ता सीखनी चाहिए, और हमें उनसे विज्ञान और तकनीक सीखनी चाहिए। यही MIT वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी का उद्देश्य है — हम सबके लिए एक संतुलित व्यवस्था का निर्माण करना और विश्व शांति की दिशा में कार्य करना।”
सम्मेलन की नेतृत्व टीम में डॉ. गणेश काकंदिकर (डीन, इनोवेशन, स्टार्टअप्स और कोलैबोरेशंस) और वर्ल्ड टेक्नोलॉजी समिट के संयोजक ने नवाचार को सामाजिक प्रगति से जोड़ने की पहल का नेतृत्व किया। डॉ. आर. एम. चिटनिस, उपकुलपति, ने सतत तकनीकी विकास हेतु वैश्विक सहयोग पर MIT-WPU के ध्यान को रेखांकित किया, जबकि डॉ. प्रसाद डी. खंडेकर, चीफ अकादमिक ऑफिसर, ने अकादमिक उत्कृष्टता को वास्तविक जीवन के नवाचारों से जोड़ने और नैतिक, भविष्य के लिए तैयार नेताओं को विकसित करने में प्रमुख भूमिका निभाई।
सम्मेलन ने मानव बुद्धि, नैतिक नवाचार और वैश्विक सहयोग के संगम का उत्सव मनाया। पहले दिन सतत नवाचार पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें भारत की पहली कैंपस सर्कुलर इकॉनमी पहल — Sustainability Lab with the Kapda Project — का शुभारंभ हुआ। इस पहल के तहत छात्रों ने परिसर के अपशिष्ट को उपयोगी उत्पादों में बदलने की दिशा में काम किया, जिससे तकनीक को नैतिकता, सहानुभूति और भावनात्मक बुद्धिमत्ता के साथ जोड़ने पर बल मिला। दूसरे दिन प्रभावशाली नवाचारों पर चर्चा हुई, जिसमें वैज्ञानिकों और युवा उद्यमियों ने अपने क्रांतिकारी विचार प्रस्तुत किए। साथ ही समाज के हित में अनुसंधान, नीति और वैश्विक नेतृत्व को आगे बढ़ाने के लिए एक रिसर्च और पॉलिसी हब का शुभारंभ भी किया गया। सत्रों में शिक्षा, अनुशासन, सुनने की कला और दीर्घकालिक दृष्टिकोण को जिम्मेदार, समावेशी नेताओं के विकास के लिए आवश्यक बताया गया। उदाहरणस्वरूप, Zipline की ड्रोन डिलीवरी पहल को सहानुभूति-आधारित, विस्तार योग्य समाधान के रूप में रेखांकित किया गया।
वर्ल्ड टेक्नोलॉजी समिट 2025 इंडिया का समापन एक संयुक्त आह्वान के साथ हुआ — कि विज्ञान और तकनीक को मानवता के हित में एक सकारात्मक शक्ति के रूप में प्रयोग किया जाए, ताकि नवाचार वैश्विक कनेक्टिविटी को तेज करे और पूरी मानव जाति के लिए अवसरों का सृजन करे।



