सोमवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उरेडा द्वारा संचालित योजनाओं की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने इस दौरान बताया कि पिरूल से बिजली उत्पादन के लिए स्वयं सहायता समूह एवं एनजीओ को कैसे जोड़ा जा सकता है, इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
पर्वतीय जनपदों में दो-दो ब्लॉक जिनमे पिरूल ज्यादा मिलती है को मॉडल ब्लॉक के रूप में कार्य किया जाय। पिरूल से बिजली उत्पादन में रोजगार में बहुत संभावनाएं है। पिरूल नीति से बिजली उत्पादन के साथ ही वनाग्नि की समस्या का समाधान भी होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वयं सहायता समूहों द्वारा जो बिजली के उपकरण बनाये जा रहे हैं, उनकी मार्केटिंग की व्यवस्था भी की जाय। विशेष उत्सवों एवं पर्वों पर सरकारी कार्यालयों में स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दिया जाय।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सौर स्वरोजगार योजना की कार्ययोजना शीघ्र तैयार कर ली जाय। पंचायतीराज विभाग के माध्यम से ग्राम प्रधानों एवं अन्य जन प्रतिनिधियों के साथ समन्वय स्थापित किया जाए। इस योजना के लिए पूरा रोड मैप तैयार किया जाय। ग्रीन एनर्जी के कॉन्सेप्ट पर अधिक कार्य किया जाय।
निदेशक उरेडा कैप्टन आलोक शेखर तिवा़री ने कहा कि पिरूल नीति-2018 के अन्तर्गत ऊर्जा उत्पादन हेतु 1060 कि.वा. क्षमता की परियोजनाएं 36 विकासकर्ताओं को आवंटित की गई हैं। प्रदेश में वैकल्पिक योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु ग्रीन सैस एक्ट पारित किया गया है।
इसके अलावा प्रदेश के सभी जनपदों में केन्द्र पोषित योजना के अन्तर्गत 90 प्रतिशत अनुदान पर 19,655 सोलर स्ट्रीट लाईटों की स्थापना का कार्य चल रहा है। यह कार्य मार्च 2021 तक पूर्ण हो जायेगा।