फेमस होटल इंडस्ट्री होने के कारण मुंबई सबसे ज्यादा प्रचलित है। उत्तराखंड के हजारों युवा यहां होटल्स में काम करते हैं। यहाँ हर होटल में आधा से ज्यादा स्टाफ (किचेन) उत्तराखंड से ही होता है। ऐसा कोई बड़ा होटल नहीं मिलेगा जिसमें उत्तराखंड के लोग काम नहीं करते होंगे। मुंबई में कोरोना काबू से बाहर होता जा रहा है, लॉकडाउन में सभी होटल बंद हैं, ऐसे में यहां हजारों उत्तराखंडियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। दरअसल, होटल में स्टाफ को रहने और खाने की व्यवस्था होटल की ही रहती है लेकिन इस संकट की घडी में कई होटल के मालिक अब खाने-पीने को लेकर हाथ खड़े कर चुके हैं, सेलरी नहीं मिलने की वजह से खाने के लिए पैसे भी नहीं हैं। जिससे युवाओं के सामने संकट पैदा हो गया है। वो भूखे पेट सो जाते हैं, कहीं दिन में एक टाइम ही खाना मिलता है।
मुंबई होटल में काम कर रहे रुद्रप्रयाग के दीपक भट्ट बताते हैं कि राज्य सरकार लोगों को खाना खिलाने का जो दावा करती है उसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही है, हम किराए के रूम पर रहते हैं रूम पर खाना बनाने के लिए सुविधा नहीं है जिसकी वजह से रोज ब्रेड और बिस्कुट खाकर गुजारा हो रहा है। दूर-दूर तक खाना के लिए कोई विकल्प नहीं है, पुलिस बाहर नहीं निकलने देती है। हकीकत यह है कि कभी-कभी भूखे ही सोना पड़ता है। महाराष्ट्र के पुणे -नागपुर से भी ऐसी ही खबरें आ रही हैं।
इसके अलावा गुजरात के सूरत, अहमदाबाद मध्य प्रदेश के इंदौर में भी संकट गहरा गया है पहले तो खाना मिल जाता था लेकिन हॉट-स्पॉट इलाके बढ़ने से स्थिति ख़राब हो गई है। कुछ लोग दो-तीन दिन से भूखे हैं, तो कुछ को बमुश्किल से खाना मिल पा रहा है। सरकार अगर जल्द कोई फैसला नहीं लेती है, तो उत्तराखंडियों की जान इन प्रदेशों में खतरे में पढ़ जाएगी। प्रवासी किसी भी हाल में घर वापसी चाहते हैं। खासकर मुंबई में खाने-पीने के संकट की ख़बरों के बाद उत्तराखंड में उनके परिजन भी चिंतित हैं।
हर एक व्यक्ति की उम्मीद, खुलकर पहल करे राज्य सरकार–
उत्तराखंड के लोग देश में हर जगह फंसे हैं, हर प्रदेश में। ऐसे में राज्य सरकार सबसे पहले उन इलाकों में फंसे लोगों को निकाले जहाँ इस वक्त कोरोना का खतरा ज्यादा है। सरकार उन लोगों को भी सबसे पहले निकाले जो बहुत बड़ी मात्रा में एक साथ रह रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि हॉट-स्पॉट वाले इलाकों में काम काज जल्दी शुरू नहीं होगा, ऐसे में वहां फंसे लोगों को आगे परेशानी झेलनी पड़ सकती है, सरकार उन इलाकों में रहने वालों लोगों की सबसे पहले लिस्ट तैयार करे और फिर आगे की प्रक्रिया। बाहर से आने वाले हर व्यक्ति का मेडिकल टेस्ट हो और उसे शहर में ही कोरन्टाइन रखा जाय। कई जगह स्थिति बेहतर है लेकिन वहां से भी युवा आना चाहते हैं तो उन्हें भी राज्य में आने की अनुमति मिले। कई राज्य सरकारें इसमें धीरे-धीरे कदम उठा रही हैं, उत्तराखंड सरकार भी खुलकर पहल करे। ऐसा नहीं है कि उत्तराखंड सरकार कुछ नहीं कर रही सरकार एक तरफ से लोगों को निकालने में जुटी है, शनिवार को हरियाणा से 243 लोगों को उत्तराखंड लाया गया, सरकार से अपील है कि जिन इलाकों में समस्या बढ़ रही हैं वहां से अपने लोगों को सुरक्षित निकालने का कार्य भी तेजी से किया जाय।