600 करोड़ रुपए से ज्यादा का सरकार को चूना लगाने वाले अधिकारीयों के खिलाफ एक्शन शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सरकार ने पिछली सरकार के दौरान से हो रहे इस घपले में संलिप्त एक अधिकारी आरएफसी कुमाऊं विष्णु सिंह धनिक को उनके पद से बर्खास्त कर दिया है।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से पहाड़ में भेजे जाने वाले सस्ता खाद्यान्न में गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर मुख्यमंत्री ने बीती 2 अगस्त को मामले में एसआइटी जांच के निर्देश दिए थे।
इस पर 4 अगस्त को योजना के तहत चावल मिलर्स से खरीदे गए चावल वितरण में हुई अनियमितताएं की जांच के लिए जिलाधिकारी उधमसिंह नगर की अध्यक्षता में एसआइटी गठित की गई थी। जब इस मामले की जांच शुरू हुई तो तो पता चला कि ये घोटाला छोटा मोटा नहीं है बल्कि कई सालों से कई करोड़ रूपये की सरकार को लगाई गयी चपत है।
एसआइटी और सरकार के निशाने पर अब कई और बड़े अधिकारी भी आ गए हैं। सरकार बहुत जल्द इस मामले में कई और अधिकारियों को भी आड़े हाथों ले सकती है।
उत्तराखंड में यह खुलासा अगर हो पाया है तो इसके पीछे सबसे बड़ी वजह वित्त मंत्री प्रकाश पंत बताए जा रहे हैं। उन्होंने ही इस मामले में विविधता की जाँच को आगे बढ़ाने का प्रस्ताव रखा। हालाँकि ये सब बातें सूत्रों के हवाले से सामने आई हैं।
एक और खास बात इस घोटाले की ये रही कि मामले में बर्खास्त किये गए अधिकारी विष्णु धनिक पिछली हरीश रावत सरकार के पसंदीदा अधिकारियों में से थे। अगर कांग्रेस सरकार में ऐसे घपलेबाज अधिकारी सम्मान के योग्य थे तो आप अंदाज लगा सकते हैं कि इन अधिकारीयों का होसला बढ़ाने में पिछली सरकार का कितना योगदान रहा होगा.. ')}