लैंसडोन : जिस रेजिमेंट में सेना का हिस्सा बनकर पिता ने देश-सेवा की, उसी रेजिमेंट में भर्ती होकर बेटे ने भी यह कमान संभाली। एक फौजी पिता के लिए इससे बड़ी गर्व की बात नहीं हो सकती। देश सेवा के लिए यह भावना उत्तराखंड की परम्परा रही है। देवभूमि उत्तराखंड का सेना से एक गहरा नाता रहा है, यहां हर गांव से सैकड़ों लोग भारत मां की सेवा कर रहे है। कई परिवारों में यह परम्परा पीड़ी दर पीड़ी आगे बढ़ रही है।
जी हाँ, शनिवार को देश की आन-बान शान की हर कीमत पर रक्षा करने की कसम ग्रहण करके गढ़वाल रेजीमेंट के 184 जवान थल सेना का अभिन्न अंग बन गए। इस दौरान पौड़ी जिले के एकेश्वर ब्लॉक नोटियाल खोला गाँव निवासी रोहित नोटियाल भी सेना का हिस्सा बने।
उनके पिता प्रेम बल्लभ नोटियाल इसी रेजिमेंट से रिटायर्ड हैं। वे पहले से ही चाहते थे कि बेटा भी सेना में भर्ती हो। माता रेनू देवी के लिए उनकी जिंदगी का यह सबसे खास दिन रहा। पति सेना में रहे और अब बेटा भी सेना में कदम पर कदमताल मिला रहा है। वहीं इंजीनियरिंग कर चुके उनके भाई राहुल नोटियाल को भी अपने भाई पर भी गर्व है।
उनके भाई राहुल नोटियाल ने बताया कि भाई ने सेना मैं भर्ती होकर अपने माता-पिता का सपना पूरा किया है। साथ ही उनका बचपन का सपना भी सेना में भर्ती होने का था। सेना की वर्दी पहनने वाले रोहित भी काफी खुश दिखाई दिए।
पिता के नक़्शे कदम पर चलकर बेटे ने भी देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने की सपथ ली। शनिवार को रोहित के कंधे पर विशिष्ट रॉयल रस्सी लगाई गई। गढ़वाल रेजिमेंट अपने पराक्रम और अदम्य साहस के लिए जानी जाती है। गढ़वाल राफल्स रेजीमेंट देश की उन चुनिंदा सेनाओं में से एक है, जिन्हें यह विशिष्ट रॉयल रस्सी से सम्मानित किया गया है।
उत्तराखंड में ऐसे हजारों उदाहरण देखने को मिलेंगे, सेना में भर्ती होने के लिए युवाओं का यह जज्बा भी कमाल का है। हम उनके इस जज्बे को भी सलाम करते हैं। साथ ही उनके माता-पिता को भी नमन करते हैं, जो अपने बच्चों को देश सेवा की सीख देकर मजबूत और धैर्यवान बनाते हैं।
')}