पूरे देश में 21 दिनों का लॉक डाउन पूरा हो गया है लेकिन आज एक बार फिर प्रधानमंत्री ने 19 दिनों का देशव्यापी लॉकडाउन बढ़ाया है। सुरक्षा और सेहत के लिहाज से लोगों को अभी भी कई दिनों तक घर में ही कैद रहना होगा। ऐसे में सबसे पहले बच्चों का ख्याल आता है दरअसल, लॉकडाउन में स्कूल बंद हैं, डांस क्लास बंद हैं, स्पोर्ट्स सब बंद हैं, नई किताबें भी नहीं आई हैं, दोस्तों के साथ खेलना और ट्यूशन तक जाने पर पाबंदी लगी है। आखिर वे जाएं भी कहां और करें भी तो क्या। अब बच्चे घर पर हैं तो शैतानी करेंगे, कई बार वो अपनी जिद्द पर भी अड़ जाते हैं। इसपर मां-बाप बच्चों को बार-बार टोकते रहते हैं, और अगर नहीं मानते हैं तो पिटाई भी कर देते हैं।
कुछ बच्चों का स्वभाव ही चिड़चिड़ा होता है, बात-बात पर गुस्सा हो जाते हैं। लॉकडाउन में ऐसे बच्चों को संभालना और मुश्किल हो जाता है। मां-बाप भी मारते-डांटते को ही एक मात्र हथियार समझते हैं। लॉक डाउन के समय कई परिवार में तो नौबत ऐसी आ गई कि बच्चों को बालगृह में रखा जा रहा है। जरुरी है कि माता-पिता ऐसी नौबत ही नहीं आने दें। ध्यान रहे अगर आपका बच्चा भी बहुत ज्यादा गुस्सा करता है या हर समय रोता रहता है, तो डांटने-मारने के बजाय उसकी समस्या को समझने का प्रयास करें। विशेषज्ञ कहते हैं कि अभिभावकों को खुद को बदलना होगा और उन्हें बच्चों की मन:स्थिति को समझना होगा, यह खतरनाक संकेत हो सकता है। माता-पिता धैर्य खोते हैं तो दिक्कत और बढ़ जाएगी, विशेषज्ञों द्वारा कुछ बातें बताई हैं अभिभावक इन्हे जरूर पढ़ें-
बच्चों को मारें नहीं-
गुस्सा चिड़चिड़े स्वभाव को जन्म देता है। अगर बच्चे के रोने, चिल्लाने पर आप उसे मारते हैं, तो बच्चों को गुस्सा आना लाजमी है। लगातार मारने-डांटने पर बच्चे के मन में आपके प्रति गुस्सा घर कर जाता है, जो धीरे-धीरे चिड़चिड़ेपन में बदल जाता है। अगर आप अपने बच्चों को सुधारने के लिए हिंसक रूप अपनाते हैं तो आप पाएंगे कि बच्चा सुधरने की बजाय और ज्यादा बिगड़ जाएगा और उसे ज्यादा गुस्सा आएगा। इसलिए बच्चों के साथ ऐसा आक्रामक व्यवहार करने से बचे और उनसे प्यार से बात करें। अगर बच्चा परेशान कर रहा है, तो उसकी बात सुनें और परेशानी दूर करने की कोशिश करें।
छोटे बच्चों के लिए कुछ खाने की चीजें घर में रख लें-
लॉकडाउन के समय बच्चों को बाहर घुमाया या खिलाया नहीं जा सकता लेकिन घर में बच्चों को खाने के लिए पर्याप्त स्टॉक रख लें या कुछ घर में अलग-अलग पकवान बनाते रहें। छोटे बच्चों का विशेष ख्याल रखें, उनके लिए दूध का इंतजाम जरुर करें। दरअसल, भूख लगने पर भी बच्चों में चिड़चिड़ेपन का स्वभाव देखा जाता है।
बच्चों को खेलों में व्यस्त रखें-
दरअसल, लॉकडाउन में अभिभावक अपना टाइम पास टीवी देखकर कर रहे हैं लेकिन बच्चों की तरफ ध्यान नहीं जाता है। होता यह है कि वो भी अपने चैनल देखने की जिद्द करने लगते हैं। आपको समाचार देखने हैं बच्चों को कार्टून। इस बात पर भी अभिभावक बच्चों को डांटने में परहेज नहीं करते जबकि होना यह चाहिए कि बच्चों के साथ कुछ रचनात्मक खेल, लूडो, शतरंज और केरम गेम खेलने चाहिए, ऐसे ही खेल-खेल में आप बच्चों को पढ़ा भी सकते हैं। इससे बच्चे खुश रहेंगे और आपका भी टाइमपास हो जाएगा।
बच्चों को भरपूर प्यार दे–
आजकल बच्चे घर में कैद हैं, बाहर न जाने की वजह से भी उनके स्वभाव में परिवर्तन हो सकता है। ऐसे समय में मा-बाप बच्चों को भरपूर प्यार दें बच्चे प्यार से अपने आप ही पिघल जाते है। जब बच्चा गुस्सा होता है तो उसे गले लगाकर, उसके गालों पर प्यार करें। इससे बच्चे भावुकता का पाठ सीखते हैं और रोना व गुस्सा करना बंद कर देते हैं। लॉकडाउन का समय बढ़ गया है ऐसे में बच्चों का ख्याल रखें। याद रखें कि बच्चे डांट से ज्यादा प्यार की भाषा की समझते हैं, एक बार आजमा कर देखें।। धन्यवाद
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