(संपादक)कोरोना महामारी में हर व्यक्ति योद्धा बनकर लड़ाई लड़ रहा है। उत्तराखंड के प्रवासी भाई-बहन भी इस लड़ाई में सबसे बड़े योद्धा बनकर सामने आये हैं। उन्होंने इस बीच जिन परेशानियों को झेला है और जिस हाल में आज वो जिंदगी बिता रहे हैं वह पूरे देश के लिए मिसाल बन रहा है। उत्तराखंड सरकार भी इन दिनों प्रवासियों की घर वापसी के लिए तैयारी में जुटी है।
इस बीच सोशल मीडिया पर कुछ अफवाएं भी फैलाई गई जिससे लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई। आज इस मामले में मुख्य सचिव ने कहा कि सोशल मीडिया में सरकार की तैयारियों के बारे में बहुत सी अफवाहें चल रही हैं। लोगों से अनुरोध है कि प्रामाणिक जानकारियों पर ही विश्वास करें। हम पूरी व्यवस्था कर रहे हैं। हालांकि सरकार ने अपना स्पष्टीकरण देने में देर लगाई। जिस वजह से प्रवासियों में अविश्वास का वातावरण पनपने लगा, कुछ अपनी भावनाओं को भी नहीं रोक सके यह जायज भी था। उनकी पीड़ा को पूरा उत्तराखंड समझ रहा है।
कुछ लोगों ने फैलाई अफवाह, कुछ ने उठाया फायदा-
खबरों के बीच देखा गया कि कुछ लोग इस मौके का फायदा उठाने से नहीं चूके। मुख्यमंत्री के पुराने वीडियो को जोड़कर लोगों के सामने विलन बनाकर पेश किया गया। इसमें मुख्यमंत्री द्वारा लिए गए वो फैसले भी थे जिसे राज्य हित में मुख्यमंत्री ने वापस ले लिए थे। साथ ही दिखाया गया कि दूसरे राज्यों ने अपने मजदूरों को कैसे निकाला? त्रिवेंद्र को ऐसे पेश किया गया मानों इस मामले में त्रिवेंद्र हाथ पे हाथ धरे बैठा है। इन भ्रामक ख़बरों का परिणाम यह हुआ कि कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री की मौत की अफवाह फैलाने जैसे अफराध किया। इसके बाद तत्काल ही महानिदेशक अशोक कुमार ने देहरादून एसएसपी को मुकदमा दर्ज करके संबंधित लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए। उन्होंने सोशल मीडिया के इस दुरुपयोग को दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक बताया।

समाज के लिए घातक ऐसी अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ जब कार्यवाही हुई तो फिर कुछ ऐसे ही लोगों द्वारा कुतर्क दिया गया कि प्रवासी राज्य के मुखिया से इतना परेशान हो गए हैं कि उन्हें उनकी मौत की खबर डालनी पड़ी। नेशनल मीडिया में जिस तरह यह खबर छपी वह तो पूरे उत्तराखंड को शर्मसार कर गई, हद तो तब हो गई जब कांग्रेस की और से घोषणा की गई कि राज्य के लोगों को ट्रैन से वापस लाने का खर्च कांग्रेस उठाएगी। अब आप भी समझ सकते हैं कि कोरोना पर कांग्रेस भी एक्टिव दिखने में कसर नहीं छोड़ रही। लेकिन अब उन्हें अपने खजाने को कम करने की आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि राज्य सरकार रेल यात्रा का खर्चा उठाएगी राज्य सरकार ने पहले भी यह बात कही थी ।
मुख्यमंत्री ने नहीं ली पलटी, राज्य हित में फैसला-
प्रवासियों की घर वापसी के लिए रजिस्ट्रेशन होने के बाद अचानक ही एक खबर चली कि प्रवासियों को अब नहीं लाया जायेगा, सिर्फ राहत शिविरों और रास्ते में फंसे लोगों को लाया जायेगा जिसमे केंद्र की गाइडलाइन का हवाला दिया गया था। इसमें मुख्यमंत्री की कोई घोषणा या आदेश नहीं था। राज्य सरकार को भी इस गाइडलाइन से आपत्ति थी, फिर प्रवासियों को हो रही दिक़्क़तों का हवाला देते हुए नई रणनीति पर विचार किया गया। इस समय में भी राज्य सरकार कई राज्यों से अपने 7 हजार से ज्यादा फंसे हुए लोगों को भी निकाल लिया है। बता दें कि 31 मई को अंतर्राज्यीय यात्रा को खोले जाने को लेकर भी मुख्यमंत्री ने अपना फैसला वापस ले लिया था। इसके बाद उनके इस फैसले की कड़ी निंदा हुई थी, हो सकता है कि मुख्यमंत्री के इस कठोर निर्णय से हम उत्तराखंड के 10 जिलों को ग्रीन जोन में देख पा रहे हैं। इस सच को भी हमें मानना होगा।
एक लाख 64 हजार लोगों ने किया पंजीकरण-
आज मुख्य सचिव ने इस बारे जानकारी देते हुए बताया कि सरकार दूसरे राज्यों से उत्तराखण्ड लौटने के इच्छुक प्रवासियों को वापस लाने के लिए प्रतिबद्ध है। लगभग 1 लाख 64 हजार लोगों ने इसके लिए पंजीकरण कराया है। अभी तक 7300 लोगों को दूसरे राज्यों से लाया जा चुका है जबकि 8146 को राज्य के भीतर ही एक जिले से दूसरे जिले में भेजा गया है। जो भी उत्तराखण्ड लौटना चाहते हैं, उन्हें वापस लाया जाएगा। थोड़ा संयम और धैर्य रखने की जरूरत है। तमाम तरह की सावधानियां बरतनी होती है। इसलिए एक साथ इकट्ठा सबको नहीं लाया जा सकता है। स्वास्थ्य परीक्षण, वाहनों की व्यवस्था, रूकने की व्यवस्था आदि बातें देखनी होती हैं। सरकार इस काम में दिन रात लगी है। पूरा काम सुनियोजित तरीके से किया जाना है। हरियाणा से 1500 लोगों को निजी वाहन से आने की अनुमति दी गई है। यहां बसें भी भेजी जाएंगी। उदयपुर व जम्मू से 400-400 लोगों को लाने की व्यवस्था की जा रही है। गुजरात व महाराष्ट्र को सूचना दी गई है कि सूरत, अहमदाबाद व पुणे से लोगों को ट्रेन से लाया जाना है। हमारी रेल मंत्रालय से बात हो चुकी है। संबंधित राज्यों को भी रेल मंत्रालय से बात करनी है। उत्तराखण्ड के लोगों को ट्रेन से लाने में जो भी व्यय आएगा, उसका वहन उत्तराखण्ड सरकार द्वारा किया जाएगा। केरल के दो शहरों से भी लगभग 1000 लोगों को लाया जाना है। कई जगहों के लिए यात्रियों की सूची और गाड़ियां तैयार हैं। लोग अभी भी रजिस्ट्रेशन कर रहे है।