उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोक गायक किशन सिंह पंवार अब नहीं रहे हैं सोमवार को देहरादून के एक अस्पताल में निधन हो गया है। टिहरी गढ़वाल के प्रतापनगर प्रखंड में रमोली पट्टी के नाग गांव में जन्मे किशन सिंह पंवार उत्तरकाशी के राजकीय इंटर कालेज गंगोरी में शिक्षक थे। किशन सिंह पंवार के निधन पर प्रसिद्ध लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी, जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण, उत्तरकाशी संवेदना समूह के अध्यक्ष जयप्रकाश राणा, लोक गायिका मीना राणा अनुराधा निराला ने शोक व्यक्त किया है।
किशन सिंह पंवार शिक्षण कार्य के साथ-साथ उत्तराखंड की लोक संस्कृति और लोग गीतों के गायन एवं सरंक्षण के लिए समर्पित थे। पहाड़ी लोकगीतों को गाने का अंदाज किशन सिंह पंवार का सबसे अलग था। अपने जन-प्रेरक गीतों से उन्होंने आमजनमानस के मन पर और दिलों पर अलग छाप छोड़ी थी। उनके गीत आज भी प्रासंगिक हैं और लोक समाज को संदेश देने वाले थे। तंबाकू निषेध को लेकर किशन सिंह पंवार ने 90 के दशक में “न पे सफरी तमाखू… त्वैन जुकड़ी फुंकण” गीत काफी लोकप्रिय हुआ था।
इसके अलावा गीत ‘यूं आंख्यों न क्या-क्या नी देखी…’, ‘कै गऊं की होली छोरी तिमलू दाणी…’ ‘न प्ये सपुरी तमाखू…’, ‘ऋतु बौडी़ ऐगी…’, ‘बीडी़ को बंडल…’ जैसे उनके गीत कालजयी बने। लोक संस्कृति के सरक्षण के लिए उनके इस अभूतपूर्व योगदान को हमेशा याद रखा जायेगा।