उत्तराखंड से इस समय दुखद खबर सामने आ रही है। उत्तराखंड के युवा लोक गायक और संगीतकार गुंजन डंगवाल का चंडीगढ़ में सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। दुखद खबर मिलने के बाद पूरे उत्तराखंड में शोक की लहर है। जानकारी के अनुसार, गुंजन डंगवाल शुक्रवार रात को निजी काम से चंडीगढ़ के लिए निकले थे शनिवार सुबह चार बजे वापसी दून आते वक्त सड़क हादसे में उनका निधन हो गया। इस दुःखर खबर के बाद हर कोई व्यक्ति स्तब्ध एवं निःशब्द है। गुंजन के माता-पिता समेत उनके कई परिवार के सदस्य चंडीगढ़ के रवाना हो गए है। उनके कई करीबी दोस्त भी लगातार अस्तपाल पहुंच रहे हैं। लोक गायक गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी,जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण, संगीतार वीरेंद्र नेगी,संजय कुमोला,मीना राणा,राजेंद्र चौहान,कल्पना चौहान,अमित सागर सहित तमाम लोक गायको और कालाकारों ने अपनी शोक संवेदना व्यक्त की है।
नंदू मामा की स्याली रे कमला, गोरा रंग तेरो रे. उडंदु भौंरे. छमा चौक.आज लागलू मंडाण. ढोल दमों. चैता की चैत्वाल. जैसे गीतों को पिरोने वाले उत्तराखंड के युवा लोक गायक और संगीतकार गुंजन डंगवाल का इस तरह चले जाना उत्तराखंड संगीत जगत्त एवं लोक संस्कृति को बड़ी क्षति है। टिहरी,घनसाली के अखोडी गांव में जन्में गुंजन डंगवाल को बचपन से से गीत-संगीत का शोक था। उन्होंने कई संघर्षों से गुजरते हुए गीत-संगीत की शिक्षा ली और बहुत कम समय में वह मुकाम हासिल किया। जिस तक पहुंचने में लोगों को वर्षों बीत जाते है। उन्होंने बहुत कम उम्र में आछरी जागर- ” चैता की चैत्वाली,पहाड़ी अ-कापेला,नंदू मामा की स्याली,ऊडांदू भौंरा जैसे शानदार गीतों को अपने संगीत में पिरोया। यही वजह भी है कि गुंजन का संगीत गढ़वाल-कुमाऊं के लोक मानस में नई छाप के साथ विद्यामान है।