चमोली: जोशीमठ क्षेत्र में आई आपदा के बाद उत्तराखंड शासन के दिशानिर्देश पर SDRF एवमं वैज्ञानिको के 14 सदस्यीय दल को आज हिमालयी क्षेत्र अन्तर्गत जलभराव क्षेत्र (झील) का आंकलन करने हेतु शुक्रवार को रवाना किया गया।
यह दल विगत कुछ दिनों तक सम्बंधित क्षेत्र में ही कैम्पिंग करेगा जिसका मूल उद्देश्य झील से उत्पन्न खतरे का आकलन करना तथा उक्त आकलन पश्चात इसका निराकरण हेतु तकनीकी परामश दिया जाना है इस दल के साथ आवश्यक साजो सामान ले जाने हेतु 10 पोर्टल को भी भेजा गया है।
SDRF उत्तराखंड पुलिस के 7 सदस्यीय दल में दो इंस्पेक्ट गजेंद्र परवाल ओर इंस्पेक्टर अनिरुद्ध भंडारी सम्मलित है SDRF दल का वैज्ञानिक दस्ते के साथ जाने का उद्देश्य गेल्शियर क्षेत्र में वेज्ञानिको को सुरक्षा प्रदान करना, निर्धारित स्थान तक सभी को सुरक्षित पहुंचाना एवम लाना साथ ही सर्वेक्षण हेतु आवश्यक संसाधनों को जुटाना भी है।
बता दें कि 17 फरवरी को भी DRDO के 3 वैज्ञानिकों का एक दल SDRF दल के साथ झील क्षेत्र को रवाना हुआ था जो वर्तमान समय मे झील इलाके में रुका हुआ है। यह दोनों दल सम्पूर्ण आंकड़े इक्कठा करने तक सम्बंधित क्षेत्र में बनें रहेंगे।
इससे पूर्व तपोवन त्रासदी के दौरान जनसमुदाय में फैली भ्रंतियों को समाप्त करने को लेकर सेनानायक एसडीआरएफ नवनीत भुल्लर के नेतृत्व में एक टीम झील क्षेत्र में पहुंची थी। जिनके द्वारा वहां पानी के प्रेशर को कम करने के लिए झील के मुहाने को आइस एक्स के माध्यम से खोला गया था, साथ ही वापसी के दौरान टीम के द्वारा बीहड़ एवम ग्लेशियर वाले स्थानों पर रोप, हुक भी बाँध कर छोड़ दी जिससे अन्य आने वाली टीमों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े। इस क्षेत्र तक पहुंचने वाला यह प्रथम मॉन्ट्रेनियिंग दल था। जो पैदल मार्गों से जलभराव क्षेत्र तक पहुंचा था।
सम्बंधित वैज्ञानिक दस्ते के साथ रवाना सभी SDRF कर्मी माउंटेनिरिंग दल के सदस्य है जिन्हें पूर्व में हाई एल्टीट्यूड स्थानों में कार्य एवम रेस्कयू का अनुभव है। पूर्व में SDRF टीम के द्वारा अनेक हिमालयी शिखरों का सफल आरोहण भी किया जा चुका है।