उत्तराखंड सदियों से अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत व परंपराओं के कारण देश और दुनिया में अलग ही पहचान रखता है। यहां न सिर्फ देवी-देवताओं का वास है बल्कि ऐपण कला जैसी गौरवमय परंपरा यहां की पहचान है। ऐपण उत्तराखण्ड के कुमाऊं क्षेत्र में यह कालांतर से चली आ रही एक लोककला के रूप में जानी जाती है। एक ऐसा समय भी आया जब यह लोककला विलुप्त होने की कगार पर थी लेकिन देवभूमि उत्तराखंड के युवाओं ने एक बार फिर इस लोककला को जीवित कर दिया है, वो भी नए अंदाज में।
नैनीताल जिले की रहने वाली अभिलाषा पालीवाल भी ऐसे ही युवाओं में शामिल हैं। अभिलाषा ऐपण कला के क्षेत्र में चर्चित नाम बन चुकी हैं। उन्होंने इससे जुड़ा छोटा लघु उद्योग शुरू किया जिसके माध्यम से वो न सिर्फ स्वरोजगार से जुडी हैं बल्कि अपनी ऐपण कला से सुसज्जित पेंटिंग, क्राफ्ट, नेम प्लेट व उत्तराखंड के अन्य सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ी वस्तुएं जिन पर उन्होंने अपनी ऐपण कला को बारीकी से उकेरा है को देश और दुनिया तक पहुंचाकर उत्तराखंड की संस्कृति का प्रचार और प्रसार भी कर रही हैं।
हम तस्वीरों के माध्यम से भी आपको दिखा रहे हैं, अभिलाषा फैशन डिजाइनिंग, चित्रकला और ऐपण का सम्मिश्रण कर नए-नए प्रयोग कर रही है। जिसे लोग काफी पसंद कर रहे हैं यही वजह है कि उनके द्वारा तैयार ऐपण पेंटिंग्स की डिमांड विदेशों तक बढ़ गई है।
अभिलाषा ने बताया कि वो कला में पहले से ही रूचि रखती थी। देहरादून से फैशन डिजाइनर का कोर्स किया और दिल्ली चले गई। शादी के बाद परिवार के सहयोग से ऐपण कला पर काम शुरू किया।
वो निरंतर इस कला के माध्यम से अलग-अलग प्रयोग कर रही हैं। उन्होंने बताया कि मेरा प्रयास है कि इसको अलग अलग तरह से हम दिखा सकें और सिर्फ दिखाना ही नहीं बल्कि लोगो तक जब वो पहुंचे तो उनको कला के साथ-साथ एक अच्छी जानकारी भी मिले।
अपनी परम्पराओं जैसे ऐपण कला के प्रति लोगों में जागरूकता आए और हमारी आने वाली पीढ़ी भी इसको अच्छे से समझ सके। उन्होंने बताया कि यह मेरा एक छोटा सा प्रयास है वो अपने काम के साथ-साथ क्वालिटी पर भी ध्यान दे रही है।