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Raibaar Uttarakhand > Home Default > उत्तराखंड संस्कृति > उत्तराखंड इतिहास > ‘हे घांगु रमोला मैं जगह दियाला’ श्रीकृष्ण भगवान ने जब वीर भड़ घांगु रमोला से जगह मांगी
उत्तराखंड इतिहास

‘हे घांगु रमोला मैं जगह दियाला’ श्रीकृष्ण भगवान ने जब वीर भड़ घांगु रमोला से जगह मांगी

Last updated: June 5, 2020 3:40 pm
Debanand pant
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4 Min Read
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हे घांगु रमोला मैं जगह दियाला… अर्थात भगवान श्रीकृष्ण , वीर भड़ घांगु रमोला से 
जगह मांग रहे हैं, घांगु रमोला रमोला वंश की 15 वीं पीढ़ी का भड़ था।  सेम मुखेम घांगु रमोला का कार्य छेत्र रहा। श्री कृष्ण भगवान ने  उन से 9 हाथ 9 बेत जगह मांगी थीं ऐसा गीतों में है जिसे घांगु रमोला ने मना कर दिया था। एक बात यह थीं कि भेष बदले श्रीकृष्ण भगवान को उन्होंने कहा था पहले भीमा रक्षासयाणी को मारो, फिर जगह मिलेगी। उन्होंने मारी तब जगह दी गई। 

वहीं पर श्री कृष्णनागराजा मंदिर है। जिसके नीचे मण बागी में मेला लगता है। बड़ी संख्या में लोग दर्शन के लिए आते हैं। दूसरी बात जब घांगु रमोला ने जगह नहीं दी तब श्रीकृष्ण भगवान ने डांडा नागराजा पौड़ी में जगह बनाई। फिर सपने में घांगु को पश्यताप हुआ। इस बीच उनके चैन पशु मरे। नाग ही दिखने लगे। भड़ घांगु को बात माननी पड़ी। यह जिक्र प्रमाणिक किताबों में नहीं है। किंतु गीतों, आस्थाओं में जरूर मिलता है।


लोग पहले 120 किलोमीटर पैदल चलकर यहाँ सेम मुखेम पहुँचते थे। समय के साथ सुविधा हो गई। अब पैदल कुछ ही मील दूर है। लेकिन 20 किलोमीटर पैदल चल कर आज भी लोग यहाँ आते हैं। कहते हैंश्रीकृष्ण की परछाई के दर्शन करने हैं तो सेम मुखेम आइए।

घांगु रमोला 15 वीं पीढ़ी के भड़ थे। उनके पूर्वजो ने मोल्या गढ़, रैका गढ़ बसाया था। मोल्या गढ़ में सेम मुखेम था। जो बाद में पट्टी रमोली बनी। टिहरी उत्तरकाशी जिलों में जो 84 गांव रमोला लोगो के हैं उनकी पुराणी वंशावली इस प्रकार है-

1 – श्री जैनु रमोला 
2- श्री विरमु रमोला 
3-श्री कृपा रमोला 
4- श्री पिरथु रमोला 
5- श्री शक्तू रामोला 
6- श्री भक्तु रमोला 
7- श्री आशा रमोला 
8- श्री मुशा रमोला 
9- श्री जगदेश्वर रमोला 
10- श्री भागदेस्वर रमोला 
11-श्री एला रमोला 
12 – श्री जैला रमोला 
13 श्री जोगा रमोला 
14- श्री घोणा रमोला
15 – श्री घांगु रमोला वीर भड़
16 – श्री सिद्ववा रमोला, श्री विद्ववा रमोला
17- श्री खड्कु रमोला

मान्यता है कि, श्रीकृष्ण भगवान 9 हाथ 9 बेत जगह मांग रहे थे। दो बेत का एक हाथ होता है। वीर भड़ घांगु रमोला को बल शाली भी माना गया है। वे एक मण का थमालु उठाते थे। और कान पर पंछियों के घोंसले होते थे। मंदिर में सेम नागराजा की पूजा करने से पहले घांगु रमोला की पूजा की जाती है।

सात प्रकार के सेम हैं। प्रकटा सेम जहां श्री कृष्ण प्रकट हुए थे-
1-प्रकटा सेम 
2-अरगटा सेम 
3-लुका सेम 
4-भुखा सेम 
5-तलबला सेम 
6-गुप्त सेम 
7-सतरंजु सेम

समुद्र तल से 7000 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित सेम मुखेम के अलग अलग स्थानों में बड़े-बड़े बिल्डरों का होने के बारे में मान्यात है कि गढ़ पति घांगु रमोला के बैल, भैंसे, भेड़ बकरी, यह बोल्डर बन गए थे। यह भी आस्था के प्रतीक हैं। द्वापर युग में श्रीकृष्ण भगवान यहाँ आये थे यह ग्रन्थियों में जिक्र मिलता है। फिजिक्स के लेक्चर और गढ़वाली लोक गायक श्री ओम बधाणि ने घांगु रमोला पर, गीत गाया है। जो सेम मुखेम में फिल्माया गया। जो बहुत प्रसिद्ध हुवा। 


इस प्रसिद्ध मंदिर , मेले की वजह से प्रतापनगर पर्यटन, तीर्थाटन के नक्शे में कुछ सालों आने लगा है। इसे पांचवे धाम भी कहा जाता है। ऐसा वहां के पुजारी कहते हैं। लेकिन यह बात कागजों में नहीं है। जबकि इसकी मान्याता, आस्था दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है। इस रूट पर और अधिक बुनियादी सुविधाएं तीर्थ यात्रियों को मिलने की दरकार है। यहाँ आसपास के गांव वालों का व्यवहार भी देवता समान है।

शीशपालगुसाईं की फेसबुक वाल से-

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