रुद्रप्रयाग। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से राज्य के अधिकांश गांवों को सड़क से जोड़ने का दावा करने वाली उत्तराखंड की सरकारों के सामने उखीमठ ब्लाक के अंतर्गत तुलंगा गांव को जोड़ने वाली पांच किमी सड़क एक उदाहरण बनी हुई है।
सन् 1996 में बनी यह सड़क 23 साल बाद आज भी सड़क की परिभाषा में कहीं भी खरी नहीं उतरती। इस सड़क पर वाहन चलाने की बात कौन करे यह पैदल चलने लायक तक नहीं है।
तुलंगा के ग्रामीणों के अनुसार सन् 1996 में घुतु-सलया-तुलंगा मोटर मार्ग स्वीकृत हुआ। लेकिन इस मार्ग पर अब उबड़ खाबड़ होने के चलते वाहन नहीं चलते। बजट के अभाव को सड़क का दुरस्त न बन पाने की वजह बताया गया। ग्रामीण लगातार सड़क निर्माण की मांग लोक निर्माण विभाग के समक्ष उठाते रहे।
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इसका परिणाम यह हुआ कि 2013 में इस पांच किमी मार्ग के लिए विश्व बैंक से 6 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए। लेकिन अब कोई यह बताने को तैयार नहीं है कि सड़क निर्माण के लिए मंजूर धनराशि कहां चली गई? तुलंगा गांव निवासी नवीन रावत के अनुसार इस मार्ग पर वाहन चलने की बात कौन कहे पैदल चलना तक दूभर हो गया है।
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सलया गांव से आगे सड़क की हालत बहुत खराब है। और जगह जगह टूटी हुई है, हर दिन कई किलोमीटर पैदल यात्रा करनी पढ़ती है। समय-समय पर ग्रामीण इस मामले को उठाते रहे हैं, लेकिन उनकी आवाज नक्कारखाने में तूती की आवाज बनकर रह गई है। 23 साल से बाद से बदतर हालात से गुजर रही यह सड़क उत्तराखंड की सरकारों के पहाड़ के प्रति लापरवाही का सटीक उदाहरण है।
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