जिस तरह उत्तराखंड के पर्यटन की दृष्टि से पूरे विश्व में अलग है उसी तरह यहां के खान-पान का तरीका भी सबसे जुदा है। बेशक आज हम पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव एवं इस नयेपन की दुनिया में वो सब कुछ भुलते जा रहे हैं परन्तु हमारे पूर्वजों द्वारा समयानुसार अपनाई गई लाजबाव व्यंजनों के चमत्कारी गुणों की प्रशंसा आज विज्ञान और वैज्ञानिक भी डंके की चोट पर करते हैं। चाहे स्वाद की दृष्टि से हो या फिर सेहत की दृष्टि से हम पहाड़ियों के भोजन का कोई सानी नहीं है।
आज हम आपको एक ऐसे ही पहाड़ी व्यंजन के बारे में बता रहे हैं जो स्वयं में कई गुणों की खान है। जिसके प्रयोग से जहां प्राचीन समय में बड़ी-बड़ी चट्टानों में विस्फोट हो जाते थे वहीं वर्तमान समय में उसका पानी पथरी का सबसे अचूक उपाय है। यह दाल घोड़े जैसे ताकत शरीर को देती है इसलिए इसे Horse gram नाम दिया गया है। जी हां हम बात कर रहे हैं गहत की दाल की। जाड़े के मौसम में हमारे भोजन के प्रमुख अंग गहत के कई व्यंजन जहां खाने में लाजवाब है वहीं अपने आप में कई गुणों को भी समाएं हुए हैं।
गुणों की खान गहत की दाल में दवाओं के भी कई गुण पाए जाते है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आयुर्वेद में भी इसको चिकित्सकीय गुणों वाले भोजन का दर्जा दिया गया है। आयुर्वेद में इसके चिकित्सकीय गुणों का वर्णन करते हुए बताया गया है कि गहत में कई पौष्टिक तत्त्व जैसे कि प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर और कई तरह के विटामिन भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। अपने चिकित्सकीय गुणों के कारण यह कई बीमारियों के इलाज में भी कारगर मानी जाती है। कुल्थी दाल में प्रोटीन और फाइबर अधिक पाया जाता है। इसके अलावा इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होता है और यह पथरी में फायदेमंद मानी जाती है।
गहत की दाल के फायदे-(gahat ki dal benefits)-
गहत की दाल का सबसे बड़ा फायदा किडनी स्टोन के लिये है। लेकिन इसमें पाया जाने वाले विभिन्न पोषक तत्वों के कारण कुलथी दाल शरीर की अन्य समस्याओं के समाधान में भी मदद करता है।
इम्यूनिटी कम होने के कारण सर्दी जुकाम की समस्या सबसे ज्यादा होती है। गहत की दाल की तासीर गर्म होने के कारण यह गले में संक्रमण, बुखार, जुकाम, खांसी की समस्या से निजात दिलाती है।
मानसिक व शारीरिक तनाव अनियमित माहवारी का कारण बन सकता है। गहत की दाल में भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है। जो तनाव, अवसाद और चिंता को कम करता है।
गहत की दाल को भिगोकर उसका पानी या कच्ची दाल खाने से पाइल्स में लाभ मिल सकता है। इसमें मौजूद फाइबर पाइल्स का इलाज करने में मदद करती है।
पेट में किसी भी प्रकार का घाव होने दर्द से राहत के लिये गहत की दाल का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा डायरिया से निजात पाने के लिये गहत की दाल का प्रयोग कर सकते हैं। यह फ्लेवोनॉयड जैसे तत्वों से भरपूर होती है, जो एंटी-डायरिया के रूप में काम करती है।
गहत की दाल फाइबर से भरपूर होती है, जिससे कब्ज की समस्या दूर होती है। फाइबर स्टूल को मुलायम बनाता है और मल त्याग की प्रक्रिया को सरल बनाता है।
गहत की दाल में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो मधुमेह को कम कर सकते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि कुलथी टाइप 2 डायबिटीज वालों के लिये भी फायदेमंद है।
गहत दाल के अन्य नाम क्या हैं ?
हिंदी में कुलथ, कुलथी, गराहट ,कुल्थी और खरथी आदि कहते हैं | संस्कृत में कुलत्थिका, कुलत्थ | गुजराती में कुलथी | मराठी में हुलगा, कुलिथ, उत्तराखंड की स्थानीय भाषा में “गहत” तथा अंग्रेजी में Horse gram कहा जाता है।