राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे 90 वर्षीय संत युगपुरुष परमानंद गिरि महाराज ने श्रीरामलला की मूर्ति की ‘प्राण प्रतिष्ठा’ को लेकर कहा कि उनके जीवन का परम लक्ष्य अंततः पूरा होने जा रहा है। परमानंद गिरि महाराज 1989 में ‘शिलापूजन’, 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस और इस मंदिर मस्जिद विवाद पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के साक्षी रहे हैं। उनके लिए 22 जनवरी को होने जा रहा ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह एक जीवनकाल के संघर्ष का आदर्श समापन है।
बता दें कि राममंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के नजदीक आने के साथ ही श्रद्धालुओं को भोजन कराने के लिए यहां भंडारे, लंगर आदि विभिन्न सामुदायिक रसोइयां चलाई जा रही हैं। ये सामुदायिक रसोई निहंग सिखों से लेकर इस्कॉन और देशभर के मंदिर न्यास से लेकर अयोध्या के स्थानीय लोगों द्वारा संचालित की जा रही हैं। अयोध्या आने वाले श्रद्धालु इन सामुदायिक रसोई में ताजा पकाया गया गर्म भोजन ग्रहण कर सकते हैं। ये सामुदायिक रसोई शहर के विभिन्न क्षेत्रों में चल रही हैं। इन लंगरों में श्रद्धालुओं को खिचड़ी, आलू पूरी, कढ़ी चावल, अचार और पापड़ परोसा जाता है। इसके साथ ही गर्म चाय से श्रद्धालुओं को हाड़ कंपा देने वाली ठंड से राहत मिलती है।