हिंसौले (Hisalu) एक पहाड़ी फल है, हिंसौले हमारे गाँव तिमली, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड में भी बहुत होते है, इसे हिमालय की रसबेरी (Himalayan Raspberry) के नाम से भी जाना जाता है। यह फल छोटे, नारंगी या पीले रंग के रसभरे दानों से बना होता है और इसका स्वाद खट्टा-मीठा होता है। पकने पर यह अधिक मीठा हो जाता है और मुंह में रखते ही घुल जाता है।
हिंसौले के बारे में मुख्य जानकारी:
1. हिंसौले का वैज्ञानिक नाम Rubus ellipticus है और यह Rosaceae परिवार से संबंधित है।
2. स्थानीय नाम : कुमाऊँ क्षेत्र में इसे हिसालू और गढ़वाल क्षेत्र में हिसर या हिंसर कहा जाता है।
3.पोषक तत्व : हिंसौले में विटामिन सी, फाइबर, मैग्नीशियम, कैल्शियम, आयरन, जिंक और एंटीऑक्सीडेंट्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यह शुगर की मात्रा कम होने के बावजूद अत्यधिक मीठा होता है।
4.औषधीय गुण : हिंसौले का उपयोग पेट दर्द, बुखार, खांसी, गले के दर्द और मूत्र संबंधी समस्याओं के इलाज में किया जाता है। इसकी जड़ें और छाल तिब्बती चिकित्सा में कामोत्तेजक दवाई के रूप में प्रयोग की जाती हैं।
5.संरक्षण की आवश्यकता : हिंसौले को IUCN द्वारा विश्व के 100 सबसे खतरनाक आक्रामक प्रजातियों (World’s 100 Worst Invasive Species) की सूची में शामिल किया गया है, क्योंकि यह अन्य फसलों के साथ प्रतिस्पर्धा करता है।
हिंसौले के फायदे:
रोग प्रतिरोधक क्षमता : विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स की मौजूदगी के कारण यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
पाचन में सुधार : इसमें मौजूद फाइबर पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है और कब्ज, अपच जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है।
डायबिटीज में लाभदायक : हिंसौले में एंटी-डायबेटिक गुण पाए जाते हैं, जो रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
ब्लड प्रेशर कंट्रोल : इसमें मौजूद एंटी-हाइपरटेंसिव गुण रक्त वाहिकाओं को आराम देते हैं और रक्त प्रवाह को सुधारते हैं।
हिंसौले के नुकसान:
हालांकि हिंसौले के अधिक सेवन से पेट खराब हो सकता है, लेकिन संतुलित मात्रा में इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक है।
हिंसौले का उपयोग:
शेक और जैम : हिंसौले का शेक बनाने के लिए इसे दूध और चीनी के साथ मिलाया जाता है। इसके अलावा, इससे जैम भी बनाया जाता है, जो इसके छोटे शेल्फ लाइफ को ध्यान में रखते हुए एक अच्छा विकल्प है।
फिरनी : हिंसौले का उपयोग स्वादिष्ट फिरनी बनाने में भी किया जाता है। हिंसौले न केवल स्वाद में बेहतरीन है, बल्कि इसके औषधीय गुण इसे एक विशेष फल बनाते हैं। यह फल उत्तराखंड की प्राकृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसके संरक्षण की आवश्यकता है।