सोमवार को पुलिस मुख्यालय में आयोजित पुलिस वार्षिक सम्मेलन में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रतिभाग किया। इस दौरान पुलिस उपमहानिरीक्षक श्रीमती रिद्धिम अग्रवाल ने पुलिस विभाग द्वारा किए जा रहे कार्यों एवं भविष्य की योजनाओं पर विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन स्माईल के तहत पिछले 05 साल में 2300 बिछड़े हुए बच्चों को उनके परिवारजनों से मिलाया गया है। प्रदेश सी.पी.यू. के गठन के लिए वर्ष 2017 में एवं ई-सुरक्षा चक्र के लिए वर्ष 2018 में पुरस्कार प्राप्त कर चुका है, इसके साथ ही विगत 03 वर्षों में प्रदेश के 03 थानों ने देश के टॉप-10 थानों में अपना स्थान बनाया है।
मुख्यमंत्री ने बैठक के आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रकार की बैठकें समय-समय पर आयोजित की जानी चाहिए। साथ ही मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि गैरसैंण में इंडियन रिजर्व बटालियन की तीसरी यूनिटखोली जाएगी। मुख्यमंत्री ने प्रदेश की 05 पुलिस लाईनों के उच्चीकरण किए जाने पर सहमति व्यक्त की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में एंटी ड्रग पॉलिसी लाए जाने की आवश्यकता है। ड्रग्स में अंकुश लगाते हुए जो क्षेत्र अभी इससे अछूते हैं, उन क्षेत्रों में इसे फैलने से रोकना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। इसके लिए जनजागरूकता आवश्यक है।
छात्र पुलिस कैडेट के लिए भी वर्दी की व्यवस्था तथा पैट्रॉलिंग बढ़ाने हेतु वाहनों की संख्या बढ़ाए जाने पर सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि आपदा, दुर्घटना एवं अन्य आपातकालीन परिस्थितियों में पुलिस विभाग को हैली सर्विस भी उपलब्ध करायी जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य की पुलिस को अपग्रेड करने हेतु हर सम्भव प्रयास किए जाएंगे।
अभी सबसे बड़ी चुनौती कुम्भ-2021 है। इसकी सफलता के लिए हमारा सिस्टम पूरी तरह से तैयार है। पुलिस विभाग के मॉर्डनाईजेशन के लिए हर सम्भव प्रयास किए जाएंगे। सीमिति संसाधनों के बावजूद कोविड-19 जैसी परिस्थितियों में पुलिस विभाग एवं अन्य फ्रंटलाईन वर्कर ने अतिमहत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है।
इस दौरान पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि प्रदेश में स्मार्ट पुलिसिंग की दिशा में अनेक पहल की गयी हैं। समाज सुधार के क्षेत्र में ऑपरेशन मुक्ति जैसे प्रयास किए जा रहे हैं, जिसके परिणाम स्वरूप 717 भीख मांगने वाले बच्चों को विद्यालय में एडमिशन दिलाया गया है एवं उनकी निगरानी भी की जा रही है।
क्राईम और क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एवं सिस्टम के क्रियान्वयन में उत्तराखण्ड का देश में 5वाँ और पर्वतीय राज्यों में प्रथम स्थान है।