उत्तराखंड की जनता ने पिछली बार की तरह इस बार भी बीजेपी पार्टी को पूर्ण बहुमत दिया है। लेकिन उत्तराखंड को अभी तक पांच साल पूरा करने वाला मुख्यमंत्री बीजेपी नहीं दे पाई है। जब से उत्तराखंड बना है तब से सिर्फ एक मुख्यमंत्री (नारायण दत्त तिवारी कांग्रेस) ही अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा कर पाए थे, नारायण दत्त तिवारी से पहले के दो मुख्यमंत्री और उनके बाद के सभी मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए हैं।
उत्तराखंड को 22 सालों में 11 मुख्यमंत्री मिल चुके हैं इसमें से 10 मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये, लेकिन जिस तरह इस बार जनता ने एक पार्टी को पूर्ण बहुमत दिया है पार्टी को भी राज्य को पांच साल वाला मुख्यमंत्री दे देना चाहिए क्योंकि इसकी राज्य को बहुत जरूरत है। अगर एक मुख्यमंत्री पांच साल बना रहता है तो उसके विकास कार्यों का कुछ लेखा-जोखा भी सामने दिखता है लेकिन यहाँ अभी तक सिर्फ मुख्यमंत्रियों की बड़ी लिस्ट ही दिखती है।
पहले दो मुख्यमंत्री रहे अधूरे कार्यकाल वाले नहीं मिला समय-
यह शुरुआत उत्तराखंड के पहले ही मुख्यमत्री से शुरू हो गई थी। पहले मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी 9 नवम्बर 2000 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बनाये गए थे लेकिन 354 दिन में ही पद से हटा दिए गए और उसके बाद 30 अक्टूबर 2001 को भगत सिंह कोश्यारी को मुख्यमंत्री बनाया गया। लेकिन 2002 में चुनाव में बीजेपी की हार के कारण कोशियारी जी 123 दिन ही राज कर पाए, समय भी नहीं मिला काम भी नहीं हुआ।
नारायण दत्त तिवारी ने पूरा किया कार्यकाल-
कांग्रेस ने पहले ही चुनाव में उत्तराखंड में पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई, नारायण दत्त तिवारी को मुख्यमंत्री बनाया गया। उन्होंने 2002 से 2007 तक पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। माना जाता है कि नारायण दत्त तिवारी ने प्रदेश को विकास की अच्छी गति दिलाई, लेकिन जनता को उनका काम पसंद आया लेकिन ज्यादातर लोगों को नहीं आया, जनता ने इस बार यानी 2007 चुनाव में बीजेपी को बहुमत देकर सरकार ही बदल डाली।
भुवन चंद्र खडूड़ी नहीं जीत पाए भरोषा निशंक भी नहीं दे पाए कुशल नेतृत्व-
बीजेपी ने भुवन चंद्र खडूड़ी को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया, सायद विश्वास के अनुरूप अपने भरोषा जीतने में सफल नहीं हो पाए 839 दिन कार्यकाल के बाद उन्हें हटा दिया गया और रमेश पोखरियाल निशंक को मुख्यमंत्री बनाया गया। उन्होंने 808 दिन सत्ता संभाली इस बीच चुनाव के लिए कुछ ही समय बचा था एक बार फिर भुवन चंद्र खडूड़ी को कमान सौंपी गई, इस दौरान वे 185 दिन मुख्यमंत्री रहे। लेकिन बार-बार मुख्यमंत्री बदलने का खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा और उनके नेतृत्व में बीजेपी 2012 में चुनाव हार गई।
कांग्रेस ने विजय बहुगुणा को बनाया मुख्यमंत्री फिर हरीश रावत पर आजमाया दांव –
कांग्रेस ने 2012 में मिली जुली सरकार बनाई तो विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन केदारनाथ आपदा में कुशल नेतृत्व न निभाने की वजह से कांग्रेस ने विजय बहुगुणा से इस्तीफा दिलाया और 1 फरवरी 2014 को हरीश रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया लेकिन 785 दिन कुर्सी पर रहने के बाद अचानक ही कांग्रेस के कुछ विधायक बगावत कर गए सरकार गिर गई और राज्य में 25 दिन राष्ट्रपति शासन रहा। आखिर हाईकोर्ट के निर्देश पर हरीश रावत को मुख्यमंत्री बहाल करने के लिए कहा गया लेकिन एक दिन मुख्यमंत्री रहने पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए फिर से राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया इस बार 19 दिन राष्ट्रपति शासन रहा आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई 2016 को फ्लोर टेस्ट के बाद हरीश रावत सरकार को फिर से बाहल कर दिया गया। इस बार हरीश रावत 311 दिन मुख्यमंत्री रहे, लेकिन 2017 में प्रदेश में हरीश रावत के नेतृत्व में कांग्रेस बहुत बुरी तरह से चुनाव हार गई।
बीजेपी ने सत्ता में की वापसी तीन मुख्यमंत्री बदल डाले-
2017 में बीजेपी की सत्ता में वापसी हुई 18 मार्च 2017 को त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री बनाये गए। लेकिन उनके कार्यकाल के चार साल यानी 1453 दिन राज करने के बाद 10 मार्च 2021 को उन्हें अचानक हटाकर तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बना दिया गया। मुख्यमंत्री के तौर पर तीरथ सिंह रावत अपने आपको साबित नहीं कर पाए राज्य में आने वाले चुनावों में बीजेपी पर खतरा मंडराने लगा इस बीच बीजेपी ने एक बार फिर मुख्यमंत्री बदलने का फैसला किया और तीरथ रावत के 116 दिन के कार्यकाल को रोकते हुए पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया। तब से पुष्कर सिंह धामी 250 दिन से अधिक मुख्यमंत्री के पद पर रह चुके हैं। बीजेपी 2022 में उनके नेतृत्व में चुनाव जरूर जीती है लेकिन वे अपनी सीट पर खुद हार चुके हैं ऐसे में उनके मुख्यमंत्री बनने पर संशय बना हुआ है। अब देखना होगा कि बीजेपी किस चेहरे को मुख्यमंत्री बनाती है वे जिसे भी मुख्यमंत्री बनाएं इस बार जनता पांच साल वाले मुख्यमंत्री को देखना चाहती है ताकि प्रदेश के विकास को आगे बढ़ाया जा सके।
कौन कितने दिन रहा मुख्यमंत्री-
नित्यानंद स्वामी – 354 दिन
भगत सिंह कोश्यारी – 122 दिन
नारायण दत्त तिवारी – 1830 दिन
भुवन चंद्र खंडूड़ी(पहला कार्यकाल)- 839 दिन
डा.रमेश पोखरियाल निशंक – 805 दिन
भुवन चंद्र खंडूड़ी (दूसरा कार्यकाल) – 185 दिन (कुल 1024 दिन)
विजय बहुगुणा – 690 दिन
हरीश रावत (पहला कार्यकाल)- 785 दिन
हरीश रावत (दूसरा कार्यकाल)- 1 दिन
हरीश रावत (तीसरा कार्यकाल)- 311 दिन (कुल 1097 दिन)
त्रिवेंद्र रावत – 1452 दिन
तीरथ रावत – 114 दिन
पुष्कर धामी – 254 दिन (आज तक)