उत्तराखंड में पांचवीं और आठवीं कक्षाओं में छात्र-छात्राओं को फेल नहीं करने और अगली कक्षाओं में भेजने की बाध्यता खत्म कर दी गई है। अब विद्यार्थी पढ़ाई को खेल समझेंगे तो फेल हो जाएंगे। यह नियम नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (संशोधन) नियमावली-2019 में संशोधन पर राज्य मंत्रिमंडल की मुहर लगने के बाद लागू हो गया है।
यह व्यवस्था प्रदेश के सरकारी और निजी स्कूलों पर लागू होगी। उल्लेखनीय है कि विभिन्न सर्वे में यह साफ हो चुका है कि वर्तमान में चल रही शिक्षा नीति के तहत कमजोर बच्चों को भी आठवीं तक फेल नहीं करने से शिक्षा गुणवत्ता का स्तर गिर रहा है। देशभर से मिली रिपोर्ट में सुझाव दिया गया था कि बच्चों को बेहतर पढ़ाई के लिए उन पर फेल होने का डर होना चाहिए।
दो माह तक परीक्षा पास सकते हैं स्टूडेंट–
नई प्रक्रिया के तहत आठवीं में फेल बच्चे को दो माह के भीतर परीक्षा पास करने का गोल्डन चांस दिया जायेगा। यदि फिर भी वह पास नहीं हुआ, तो फिर उसे फेल कर दिया जाएगा। शर्त यह भी होगी कि फेल होने वाले किसी भी छात्र को स्कूल को निकाला नहीं जाएगा। बता दें कि केंद्र सरकार ने शिक्षा के नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार विधेयक-2018 को लेकर राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद 11 जनवरी को अधिसूचना जारी कर दी है। देश में 25 राज्य इस संसोधन के पक्ष में थे, जिसमे उत्तराखंड भी शामिल था।
')}