आज उत्तराखंड क्रांति दल ने पेयजल निगम में पूर्व में हुयी अवैध नियुक्तियों में कार्यवाही की मांग की है। केंद्रीय प्रवक्ता विजय बौड़ाई ने कहा कि राज्य में लाखों शिक्षित बेरोजगार नौकरी की इंतजारी में बैठे वंही सरकार आउटसोर्स की नौकरी से लेकर उच्च पदों पर मिली भगत कर अपने चहेतों को बैकडोर से अवैध नियुक्तियां दे रही है। बौड़ाई ने कहा कि पेयजल निगम में पूर्व में भी उत्तराखंड राज्य के लिए आरक्षित पदों पर बाहरी लोगों को नियुक्त किया है।
बौड़ाई ने कहा कि पेयजल निगम में कार्यरत अवैध नियुक्तियों को समाप्त करने के लिए पूर्व में दल के केंद्रीय महामंत्री ने पेयजल निगम के मुख्य अभियंता मुख्यालय, प्रबंध निदेशक व सचिव पेयजल को समय समय पर ज्ञापन प्रेषित किये लेकिन किसी भी सक्षम अधिकारी ने इन पर कार्यवाही करने की आवश्यकता नही समझी। उत्तराखंड पेयजल निगम में हुई अवैध नियुक्तियों को बर्खास्त करने के लिए जिलाधिकारी देहरादून के माध्यम से मुख्य सचिव को ज्ञापन प्रेषित किया गया।
केंद्रीय महामंत्री जयदीप भट्ट ने कहा कि पेयजल निगम में वर्ष 2005 व वर्ष 2007 में सहायक अभियंताओं की भर्ती की गई थी, जिसमे घोर अनियमितताएं हुई है।
शासन के पेयजल अनुभाग ने अपने पत्र – 1376/उन्तीस(1)/2020-(13 अधि0)2020 दिनांक 24.12.2020 के अनुसार वर्ष 2005 में सहायक अभियंता की भर्ती के अन्तर्गत अधिशासी अभियंता जो उत्तर प्रदेश व बिहार राज्य की निवासी हैं तथा वर्ष 2007 में सहायक अभियन्ताओं की भर्ती के अन्तर्गत चयनित उत्तर प्रदेश की निवासी हैं। परंतु उपरोक्त अभियंताओं को उत्तराखंड में महिला आरक्षण का लाभ दिया गया है जो शासनादेश संख्या-1144/कार्मिक -2-2001-53(1)/2001, दिनांक 18.07.2001 तथा शासनादेश- 589/कार्मिक-2/2002 दिनांक 21.06.2002 में किये गए प्रावधानों का उल्लंघन है।
इसी प्रकार वर्ष 2005 में सहायक अभियंता भर्ती में उत्तराखंड से बाहर अन्य प्रदेशों के निवासी है तथा इनकी नियुक्ति उत्तराखंड राज्य की अनुसूचित जाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग हेतु आरक्षित पदों पर हुई हैं जिससे शासनादेश संख्या- 254/कार्मिक-2/2002 दिनांक 10.10.2002 में की गई व्यवस्था का उल्लंघन हुआ है।
शासन ने अपनेे पत्रांक संख्या- 1376/उन्तीस(1)/2020-(13 अधि0)2020 दिनांक 24.12.2020 के अनुसार उत्तराखंड पेयजल निगम के प्रबंध निदेशक को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि पेयजल निगम में उपरोक्त वर्षों में सहायक अभियंता (जो अब अधिशासी अभियंता के पदों पर सेवारत है) के पद पर नियुक्त किये गए है उनकी नियुक्ति उत्तराखंड शासन के समय-समय पर जारी शासनादेशों के खिलाफ है, ऐंसे में इनके खिलाफ उचित कार्यवाही की जाये।
अपितु पेयजल विभाग ने अपने पत्र – लो0सू0अ0-50/(उन्तीस (1)/2001-(32 सू0अ0)2021 दिनांक 21 अक्टूबर 2021 के माध्यम से अवगत कराया है कि शासन के पत्र- 1376/उन्तीस(1)/2020-(13 अधि0)2020 दिनांक 24.12.2020 पर पेयजल निगम व पेयजल विभाग ने आज तक कोई भी कार्यवाही नही की है।
सर्व विदित है कि गलत प्रमाणपत्रों के आधार पर नियुक्त हुये उत्तराखंड राज्य के ही शिक्षा विभाग में कई शिक्षकों को बर्खाश्त किया गया है। ऐंसे में उत्तराखंड पेयजल निगम द्वारा अवैध नियुक्ति धारी इन अभियंताओं के खिलाफ कार्यवाही न होना पेयजल निगम के प्रबंध निदेशक की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।
मुख्य सचिव से मांग की है कि इन अभियंताओं की निगम से सेवा बर्खास्तगी नही की जाती, तद्समय तक इन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों से अलग किया जाना उत्तराखण्ड राज्यहित व पेयजल निगम हित में अति आवश्यक है।
युवा प्रकोष्ठ अध्यक्ष राजेंद्र बिष्ट ने कहा कि राज्य के युवाओं के साथ किसी भी तरह का अन्याय बर्दाश्त नही किया जाएगा । साथ ही उत्तराखण्ड में बिजली बिलो में हो रही वृद्धि का घोर विरोध किया जाएगा।