उत्तराखंड नगर निकाय चुनाव में सभी पदों पर नतीजे सामने आ चुके हैं। इस साल के जीत के आंकड़ों को जब हमने 2013 के आंकड़ों से जोड़ना चाहा तो उनमे कुछ समानताएं ही नजर आई मतलब यह कि यह निकाय चुनाव पिछली बार की तुलना में ज्यादा नहीं बदला। बीजेपी और कांग्रेस उसी जगह पर हैं जिस जगह पर पिछले चुनाव में थे।
निकाय चुनाव के नतीजों और रुझानों से साफ है कि भाजपा को और अनुशासित होना पड़ेगा। पार्टी केवल अपनी साख बचाने में कामयाब हुई है। कांग्रेस ने थोडा रिकॉर्ड जरूर सुधारा है लेकिन उन्हें अभी बहुत ज्यादा जोर लगाने की जरूरत है।
मेयर और अध्यक्ष पद की 84 सीटों में से 34 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की है। जबकि कांग्रेस के खाते में 25 सीटें आई हैं। वहीं 23 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने विजय हासिल की। एक सीट पर बसपा को सफलता मिली। इसके साथ ही वार्ड मेंबर की 1064 सीटों में से 1063 के परिणाम सामने आए हैं। इसमें निर्दलीय उम्मेदवार 551, बीजेपी 323, कांग्रेस 181, बसपा 4, आम आदमी पार्टी 2, उक्रांद 1 और समाजवादी पार्टी को 1 सीट हासिल हुई।
निकाय चुनाव 2018 के नतीजे-
निर्दलीय का दबदबा हर बार-
निकाय चुनाव में हर बार की तरह इस बार भी निर्दलियों का प्रदर्शन बेहतर रहा। जनता ने कांग्रेस और भाजपा के विकल्प के तौर पर अन्य दल की जगह निर्दलियों को चुना। पार्षदों के चुनाव में उनका प्रदर्शन बेहद जोरदार रहा। इससे साफ है कि मेयर और अध्यक्ष कोई भी हो, लेकिन बोर्ड में उनका भी दबदबा रहेगा।
इस बार पूरे प्रदेश में मतपत्रों से चुनाव हुए। 2013 के चुनाव की तरह इस बार चार नगर निगमों में ईवीएम का इस्तेमाल नहीं किया गया। इस वजह से चुनाव के नतीजे आने में खासी देरी हो गई। 2013 की बात करें तो मेयर और अध्यक्ष पद की 69 सीटों में से 22 पर भाजपा, 22 पर निर्दलीय और 20 सीटों पर कांग्रेस विजयी हुई थी।
इसके अलावा वार्ड मेंबर के 690 पदों पर मतदान हुए थे, इसमें निर्दलीय प्रत्याशी 369 सीट लेकर सबसे आगे रहे थे। बीजेपी 180, कांग्रेस 135, बसपा 4, उक्रांद 1 और समाजवादी पार्टी को 1 सीट मिली थी। पिछली बार की तुलना में राज्य को इस बार 395 नए पार्षद मिले। यही बढ़े हुए पार्षद इस बार भी उसी प्रतिशत से दोनों बड़ी पार्टी पर निर्दलीय में बंट गए।
तुलनात्मक अध्ययन क्यों?
ठीक 2013 में निकाय चुनावों के बाद लोकसभा चुनाव हुए थे। तब भी लोग निकायों के चुनावी समीकरण को लोकसभा चुनाव को लेकर जोड़ रहे थे। किस पार्टी का पलड़ा भारी रहेगा वो कुछ हद तक निकाय चुनाव बता चुके हैं अब सोचना उन्हें है जिन्हें ख़तरा महसूस हो गया है।
2013 निकाय चुनाव का सामीकरण-
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