उत्तराखंड में इन दिनों बढ़ती लूटमार और हत्या के मामलों के बीच एक चर्चा जोरों पर है, चर्चा यह है कि उत्तरप्रदेश से अपराधियों ने उत्तराखंड को सुरक्षित ठिकाना बना लिया है । यूपी से उनका पलायन हो गया है कारण है मुख्यमंत्री योगी की सख्ती और सीधा एनकाउंटर सर्विस । इनका अब उत्तराखंड ठिकाना बन गया है, कारण है उत्तराखंड पुलिस हाथ भी नहीं लगाती बल।
दरअसल, हाल ही में हुई ताबड़तोड़ लूट की बारदातें और हत्याएं इस तरफ इशारा कर रही हैं यह हमारा व्यक्तिगत कोई सोच नहीं है आंकड़ों की बात भी जाय तो उत्तराखंड में दहशत फैलाने में यूपी के रहने वाले अपराधियों की संख्या कुल अपराध के 35% है । वैसे उत्तराखंडी के नजरिये से कहें तो यह आंकड़ा भी कमतर ही लगता है जिस तरह से यूपी से आये अपराधी यहां रोज दहशत फैला रहे हैं ।
ये लोग उत्तराखंड के सुरक्षित कहे जाने वाले शहरों की पहचान को धूमिल कर मिट्टी में मिला रहे हैं । अब हाल में ही हुई कुछ घटनाओं का ही जिक्र कर लेते हैं, प्रेमनगर में पेट्रोल पंप मालिक गगन भाटिया को गोली मारकर कई लाख का कैश लूटने वाले बदमाश के तार बिजनौर से जुड़े थे।
इसके अलावा मिंत्रा ऑनलाइन कंपनी के ऑफिस में डकैती करने वाले बदमाशों को पटेलनगर पुलिस ये दबोच लिया, ये बदमाश मुरादाबाद और अमरोहा के थे। इसी तरह क्लेमेंटाउन, नेहरू कालोनी और पटेलनगर की चोरी में वेस्ट यूपी के शातिर पकडे़ गए। हाल ही तमंचे के दम पर महिलाओं से हुई खुली लूट का तार भी इन्ही अपराधियों से हैं । छेड़छाड़ और अपहरण के मामले भी कई थानों में दर्ज हैं जो कि बाहर के राज्यों के आये कुछ लोग अंजाम देकर फरार हैं।
खैर यूपी में सख्ती हो गई है इसलिए अपराध उत्तराखंड में बढ़ गए हैं ये कहना भी गलत होगा, हो सकता है उत्तराखंड पुलिस की लाठी कमजोर पड़ गई हो। उत्तराखंड पुलिस बड़े-बड़े बदमाशों को खोजकर लाने तो माहिर है लेकिन ऐसी घटनाओं को रोकने में नाकाम ही साबित हुई है। जब बाहर से आये लोग इस तरह से लूट की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं तो यह पुलिस को खुली चुनौती देना जैसा है, बुरा लगता है जब यह बात सामने आती है कि अपराधी ऐसी बातें करते नजर आते है जिसमे वह कहते हैं कि उत्तराखंड पुलिस तो हाथ भी नहीं लगाती, उधर ही हाथ मार आते हैं । उत्तराखंड पुलिस को अपराधियों की इस बात का सख्ती से जवाब देना होगा ताकि जनता का मित्र पुलिस पर भरोषा कायम रहे ।
')}