उत्तराखंड में देश के विभिन्न कोनों से बाबा केदार की तीर्थ यात्रा पर आये तीन तीर्थ यात्रियों की मौत अलग-अलग स्थानों पर हुई है। जबकि एक तीर्थ यात्री का पांव फिसलने और समय पर इलाज न मिलने के कारण मौत हो गई है। ऐसे में केदारनाथ यात्रा पर आने वाले यात्रियों में मरने वालों की संख्या चार हो चुकी है। कपाट खुलने के छह दिन के भीतर चार यात्रियों की मौत हुई है। हालांकि प्रशासन ने यात्रियों को स्वास्थ्य उपचार देने की पूरी कोशिशें की हैं।
29 अप्रैल को भगवान केदारनाथ के कपाट खुलने के बाद अभी तक यात्रा पर आने वाले तीन तीर्थ यात्रियों की मौत हो चुकी है। यात्री बाबा केदार के दर्शनों के लिये पहुंचते हैं, लेकिन उन्हें यहां के मौसम के बारे में जानकारी नहीं होती है। खासकर जिन यात्रियों को सांस संबंधी दिक्कतें होती हैं, उन्हें अत्यधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई बार तीर्थ यात्री बिना मेडिकल चेकअप के पैदल मार्ग से रवाना हो जाते हैं, लेकिन चढ़ाई पर चढ़ते समय दिक्कतों से जूझना पड़ता है।
यात्रियों के स्वास्थ्य संबंधी जांच के लिये प्रशासन ने गौरीकुंड और सोनप्रयाग में मेडिकल चेकअप की व्यवस्था की है। यदि कोई यात्री केदारनाथ जाता है और उसे सांस संबंधी दिक्कतें हैं तो उसे आवश्यक रूप से मेडिकल चेकअप करावकर डाॅक्टर की सलाह पर ही केदारनाथ की पैदल यात्रा करनी चाहिये। साथ ही यात्रियों को पैदल मार्ग पर अपने साथ आवश्यक सामग्री ले जानी चाहिये।
महाराष्ट्र के यात्रि 60 वर्षीय अरविंद धुले की मौत अचानक स्वास्थ्य खराब होने से केदारनाथ, 56 वर्षीय अशोक कुमार की सोनप्रयाग और 63 वर्षीय शिव कुमार की मौत गौरीकुंड में हुई है। इसके अलावा बृहस्पतिवार को रामबाड़ा के पास आगरा निवासी 70 वर्षीय पदम सिंह की पांव फिसलने से मौत हो गई। परिजनों और पुलिस की टीम की ओर से घायल व्यक्ति को स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचाया जा रहा था कि रास्ते ही मौत हो गई।
केदारनाथ यात्रा में अधिकांश तीर्थ यात्रियों की मौत हृदय गति रूकने से होती है। जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने कहा कि पैदल यात्रा करने वाले हरेक तीर्थ यात्री को अपने स्वास्थ्य की जांच करानी चाहिये। यात्रियों की सुविधा के लिये गौरीकुंड, सोनप्रयाग, सीतापुर, गुप्तकाशी आदि यात्रा पड़ावों पर मेडिकल चेकअप की व्यवस्था की गई है। यहां यात्रियों को निशुल्क दवाईयां भी वितरित की जा रही हैं। ')}