उत्तराखंड में इस बार सेब का उत्पादन पिछले सालों की तुलना में 25 फीसद ज्यादा हुआ है। पिछले साल तक जहां राज्य में लगभग साठ हजार मीट्रिक टन सेब हुआ था। वहीं इस बार उत्पादन अस्सी हजार से ज्यादा है। ज्यादा उत्पादन के पीछे दो कारण है। एक सर्दियों में गोल्डन और रेड डिलिसियस प्रजाती को अच्छी बर्फबारी से ज्यादा चिलिंग मिली। वहीं इस बार डिलिसियस समेत स्पर प्रजाती के सेब के पेड़ों को ‘एंटी हेलनेट’ से ढका गया था। जिससे ओलावृष्टि होने पर भी उत्तराखंड के सेब खराब नहीं हो सके।
भारत में तीन राज्यों में सेब का उत्पादन होता है। इसमें कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड है। नॉर्थ ईस्ट के भी कुछ राज्यों में सेब होता है, लेकिन वो बहुत कम है। कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड में भी सबसे ज्यादा सेब जम्मू कश्मीर में होता है। भारत का कुल 24 लाख टन सेब उत्पादन का साठ फीसद कश्मीर में होता है।
उसके बाद हिमाचल का नंबर आता है। जहां हर साल ढाई करोड़ पेटी सेब देश और विदेश की मंडियों में जाता रहा है। उसके बाद उत्तराखंड हैं। जहां मुख्य रूप से चार जिलों देहरादून, उत्तरकाशी, अल्मोड़ा और नैनीताल में सेब के बगीचे हैं। उत्तराखंड में पिछले साल तक 62, 407 मीट्रिक टन सेब उत्पादन हुआ है। लेकिन इस बार ये अस्सी हजार मीट्रिक टन तक चला गया है।
सेब उत्तराखंड का और ब्रांडिंग हिमाचल की–
उत्तराखंड में उत्तरकाशी और दून के पर्वतीय क्षेत्र में होने वाले सेब हिमाचल की ब्रांडिंग के जरिये बिकते हैं। यानी, सेब तो उत्तराखंड का होता है, लेकिन उस पर टैग हिमाचल का होता है। राज्य सरकार गंभीर हो तो राज्य के सेब को अपनी पहचान मिल सकती है। आपको बता दें कि टिहरी, अल्मोड़ा, पौड़ी और पिथौरागढ़ में सेब को काश्तकार सीधे बेच रहे हैं। यहां सेब साठ रुपये किलो से सत्तर रुपये किलो तक बेचे जा रहे हैं।
उत्तराखंड में सेब के उत्पादन पर एक नजर-
जिला | क्षेत्रफल (हेक्टेयर) | उत्पादन (मीट्रिक टन में) |
उत्तरकाशी | 9372.59 | 20529 |
अल्मोड़ा | 1577 | 14137 |
नैनीताल | 1242 | 9066 |
देहरादून | 4799 | 7342 |
चमोली | 1064 | 3354 |
पौड़ी | 1123 | 3057 |
पिथौरागढ़ | 1600 | 3012 |
टिहरी | 3820.34 | 1910 |