द्वादश ज्योतिर्लिंगों में अग्रणी भगवान केदारनाथ के कपाट भैयादूज के पर्व पर प्रातः सवा आठ बजे बंद कर दिये जाएंगे। भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली धाम से प्रस्थान कर विभिन्न यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिये रामपुर पहुंचेगी।
कपाट बंद को लेकर मंदिर समिति के अधिकारी व पुलिस प्रशासन ने तैयारियां पूरी कर दी हैं। यहां तक की तीर्थ पुरोहित समाज और स्थानीय व्यापारियों ने भी अपना सामान समेट लिया है। प्रातः सवा आठ बजे भगवान केदारनाथ के कपाट शीतकाल के लिये बंद किये जाएंगे।
इससे पूर्व प्रधान पुजारियों, विद्वान आचार्यों, वेदपाठियों व हक-हकूकधारियों द्वारा भगवान केदारनाथ की विभिन्न पूजाएं संपंन कर भगवान केदारनाथ के स्वयंभू लिंग को ब्रम्हकमल, भष्म, पुष्प-अक्षत्र सहित विभिन्न पूजार्थ सामाग्रियों से समाधि दी जाएगी।
इसके बाद भगवान केदारनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली केदारपुरी, लिनचैली, जंगलचटटी, गौरीकुंड, सोनप्रयाग सहित विभिन्न यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिये रामपुर पहुंचेगी।
इसके बाद शनिवार को डोली द्वितीय रात्रि प्रवास के लिये विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी। जहां पर अखण्ड जागरण का आयोजन किया जायेगा। रविवार को डोली अपने शीतकालीन गददीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी, जिसके बाद बाबा केदार की मूर्ति को पूजा स्थल पर विराजमान किया जायेगा और इसके बाद भगवान केदारनाथ की शीतकाल की पूजा यहीं पर होगी।
केदारनाथ के प्रधान पुजारी टी शंकर लिंग ने बताया कि इस बार की यात्रा बेहद सुखद रही है। देश-विदेश से 7 लाख तीस हजार से अधिक तीर्थ यात्रियों ने बाबा केदार के दर्शन किये, जिससे मंदिर समिति और स्थानीय व्यापारियों को भी काफी फायदा पहुंचा है। उम्मीद है कि अगले वर्ष इससे भी अधिक तीर्थयात्री बाबा के धाम पहुंचेंगे। ')}