देहरादून : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को कोरोना काल में बेसहारा हुए बच्चों के लिए मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना का विधिवत शुभारम्भ किया। मुख्यमंत्री आवास स्थित जनता दर्शन हॉल में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने डीबीटी द्वारा योजना में चिन्हित बच्चों के बैंक खातों में 3-3 हजार रूपए की सहायता राशि ट्रांसफर की। कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, श्रीमती रेखा आर्या, विधायक धन सिंह नेगी, सचिव हरि चंद्र सेमवाल सहित अन्य विशिष्ट जन उपस्थित थे।
सरकार एक अभिभावक की तरह रखेगी बच्चों का ध्यान-
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में बच्चों के माता-पिता व संरक्षक के चले जाने की भरपाई करना मुमकिन नहीं है। परंतु राज्य सरकार एक अभिभावक की तरह इनका हमेशा ध्यान रखेगी। जिलों में डीएम इनके सह अभिभावक के रूप में काम करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाव में ही भगवान होते हैं। हमारा इन बच्चों के प्रति स्नेह, प्रेम और उत्तरदायित्व का भाव है। हम सभी इन बच्चों के लिए जो कुछ भी कर सकते हैं, पूरे मनोयोग से करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे इन बच्चों के मामा की तरह ध्यान रखेंगे। कोरोना काल में जिन बच्चों की आंखों में आंसू आए हैं, उनके चेहरों पर मुस्कान लाने का प्रयास कर रहे हैं।
प्रदेश की पहचान बनेंगे बच्चे-
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना में आच्छादित बच्चों को प्रतिमाह 3-3 हजार रूपए की सहायता राशि दी जा रही है। इसके साथ ही इन्हें निशुल्क राशन, निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था भी की जा रही है। जिलों के डीएम इन बच्चों की सम्पत्ति का संरक्षण भी करेंगे। अनाथ बच्चों के लिए नौकरियों में पांच प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था करने वाला उत्तराखण्ड पहला राज्य है। सरकार इन बच्चों के कौशल विकास पर भी ध्यान देगी।
मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना सरकार के मानवीय पक्ष का प्रतीक-
कैबिनेट मंत्री श्रीमती रेखा आर्या ने कहा कि मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना सरकार के मानवीय चेहरे को बताता है। कोरोना ने हमसे बहुत कुछ छीना है। हर किसी ने अपने किसी को खोया है। हमें इस दर्द से संघर्ष करके आगे बढ़ना है। कोरोना काल में अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों की पीड़ा को मुख्यमंत्री और राज्य सरकार ने समझा है। मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना अन्त्योदय की परिकल्पना को साकार करती है। यह योजना बच्चों को सामाजिक, आर्थिक और मानसिक तौर पर सशक्त करेगी। सरकार इनके अभिभावक की भूमिका का निर्वाह कर रही है।
21 वर्ष की आयु तक 3 हजार रूपए प्रतिमाह की सहायता-
कैबिनेट मंत्री श्रीमती रेखा आर्या ने बताया कि दिनांक 01 मार्च, 2020 से 31 मार्च, 2022 तक कोविड-19 महामारी एवं अन्य बीमारियों से पिता/माता/संरक्षक की मृत्यु अथवा माता-पिता में से कमाऊ सदस्य की मृत्यु के कारण जन्म से 21 वर्ष तक के प्रभावित बच्चों की देखभाल, पुनर्वास, चल अचल सम्पत्ति, उत्तराधिकारों एवं विधिक अधिकारों के संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना लागू की गयी है। इस योजना में आच्छादित बच्चों को 3 हजार रूपए प्रतिमाह की आर्थिक सहायता 01 जुलाई, 2021 से 21 वर्ष की आयु तक अनुमन्य की गयी है।
आर्थिक सहायता के साथ शिक्षा, पोषण व संरक्षण-
बच्चों को प्रतिमाह रू0 3000.00 की आर्थिक सहायता के साथ-साथ शिक्षा एवं स्वास्थ्य की सुविधाएं प्रदान करने हेतु आवश्यक कार्यवाही की जा रही है। बच्चों की सुरक्षा एवं संरक्षण हेतु समस्त जिलाधिकारियों को प्रभावित बच्चों की देखभाल, पुनर्वास, चल-अचल सम्पत्ति, उत्तराधिकारों एवं विधिक अधिकारों की रक्षा हेतु संरक्षक अधिकारी नामित किया गया है।
कुल 2347 बच्चे चिन्हित, प्रथम चरण में 1062 बच्चे लाभान्वित-
दिनांक 01 अगस्त, 2021 तक जन्म से 21 वर्ष तक की आयु के कुल 2347 बालक/बालिका चिन्हित किये गये है। मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना के शुभारम्भ के अवसर पर प्रथम चरण में कुल 1062 बच्चों को लाभान्वित किया जा गया है। मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना के संचालन हेतु एमआईएस पोर्टल बनाया जा रहा है, जिसमें समस्त बच्चों का विवरण जनपदों द्वारा ऑनलाइन भरा जायेगा।
मुख्यमंत्री वात्सल्य योजनान्तर्गत प्रतिमाह 3 हजार रूपए के मानकानुसार जुलाई, 2021 से प्रारम्भ करते हुए निदेशालय द्वारा पी०एफ०एम०एस० के माध्यम से डी०बी०टी० सीधे चिन्हित बच्चों के बैंक खातों में धनराशि भेजी जायेगी।
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