Raibaar Uttarakhand Raibaar Uttarakhand
  • होम
  • उत्तराखंड समाचार
    • देहरादून
    • नैनीताल
    • पौड़ी गढ़वाल
    • पिथौरागढ़
    • उत्तरकाशी
    • टिहरी
    • चमोली
    • उधम सिंह नगर
    • हरिद्वार
    • बागेश्वर
    • अल्मोड़ा
    • चम्पावत
    • रुद्रप्रयाग
  • उत्तराखंड संस्कृति
    • उत्तराखंड पर्यटन
    • उत्तराखंड इतिहास
    • चारधाम यात्रा
    • उत्तराखंड व्यजंन
    • जीवनशैली
    • उत्तराखंड मौसम
    • फोटो गैलरी
  • हिलीवुड समाचार
  • उत्तराखंड क्रिकेट
  • और
    • वायरल मेसेज
    • क्राईम
    • जॉब
    • राजनीति
    • अजब गजब
    • अर्न्तराष्ट्रीय
  • Donate
Reading: ऐसी रहस्यमयी गुफा जो बताएगी कब होगा कलयुग का अंत, उत्तराखंड में जानिए कहां है पाताललोक
Share
Raibaar Uttarakhand Raibaar Uttarakhand
  • होम
  • उत्तराखंड समाचार
  • देहरादून
  • उत्तराखंड मौसम
  • चारधाम यात्रा
  • उत्तराखंड पर्यटन
  • राष्ट्रीय समाचार
  • राजनीति
  • हिलीवुड समाचार
  • उत्तराखंड क्रिकेट
Search
  • होम
  • उत्तराखंड समाचार
  • देहरादून
  • उत्तराखंड मौसम
  • चारधाम यात्रा
  • उत्तराखंड पर्यटन
  • राष्ट्रीय समाचार
  • राजनीति
  • हिलीवुड समाचार
  • उत्तराखंड क्रिकेट
Follow US
Raibaar Uttarakhand > Blog > उत्तराखंड पर्यटन > ऐसी रहस्यमयी गुफा जो बताएगी कब होगा कलयुग का अंत, उत्तराखंड में जानिए कहां है पाताललोक
उत्तराखंड पर्यटन

ऐसी रहस्यमयी गुफा जो बताएगी कब होगा कलयुग का अंत, उत्तराखंड में जानिए कहां है पाताललोक

September 3, 2017
Share
patal bhuvneshwar

उत्तराखंड के गंगोलीहाट ‌के गांव भुवनेश्वर में पाताल भुवनेश्वर गुफा स्थित है। गंगोलीहाट से यह मात्र 14 किमी दूरी पर है यह गुफा पिथौरागढ़ जिले में मौजूद है। पौराणिक कथा और लोकगीतों में इस भूमिगत गुफा के बारे में कहा जाता है कि यहां भगवान शिव और तैंतीस करोड़ देवता विद्यमान हैं। यह गुफा प्रवेश द्वार से 160 मीटर लंबी और 90 फीट गहरी है पाताल भुवनेश्वर में गुफा में आपको कई ऐसे दृश्य देखने को मिलते हैं जिन्हें देखने के बाद इंसान सोचने पर मजबूर हो जाता है।

गुफा के अंदर जाने के लिए लोहे की जंजीरों लगी हुईं है। गुफा में शेष नाग को पृथ्वी पकड़े देखा जा सकता है।इस गुफा में चार खंभा है जो चार युगों अर्थात सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग तथा कलियुग को दर्शाते हैं। इनमें पहले तीन आकारों में कोई परिवर्तन नही होता। जबकि कलियुग का खंभा लम्बाई में अधिक है और इसके ऊपर छत से एक पिंड नीचे लटक रहा है, जिसमें एक गहरा रहस्य छुपा है मान्यता है कि जब कलियुग का खम्बा छत से मिल जायेगा उस दिन ये दुनिया समाप्त हो जाएगी।

patal bhuvneshwar
source

इस गुफा में एक हजार पैर वाला हाथी भी बना हुआ है ऐसी मान्यता है कि इस गुफा में एक साथ केदारनाथ, बद्रीनाथ, अमरनाथ के दर्शन होते हैं। इसे दुर्लभ दर्शन माना जाता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार त्रेता युग में अयोध्या के सूर्यवंशी राजा ऋतुपर्ण द्वारा यह गुफा खोजी गई। मान्यता है कि रानी दमयंती ने एक बार राजा नल को पराजित किया और रानी दमयंती के रोष से बचने के लिए राजा नल ने ऋतु पर्ण से याचना की कि वह उसे उसकी पत्नी दमयंती से बचाये। ऋतुपर्ण राजा नल को हिमालय के सघन वन क्षेत्र में ले गये और वहां रुकने के लिए कहा। वापसी में राजा ऋतुपर्ण को एक हिरण के सौन्दर्य ने मोह लिया, जो घने जंगलों में भाग गया। उन्होंन हिरण का पीछा किया किन्तु वह कहीं नहीं मिला। थक कर वह एक पेड़ के नीचे लेट गये।

सपने में उसी हिरण ने राजा ऋतुपर्ण से कहा कि वह उसका पीछा करना छोड़ दें। नींद टूटी तो उन्होंने अपने को एक गुफा के मुहाने पर पाया। फिर वे गुफा के भीतर जाने के लिए बढ़े तो द्वारपाल ने रोक दिया। परिचय के उपरान्त वहां विराजमान शेषनाग जी ऋतुपर्ण को अपने फन पर बिठाकर गुफा में ले गये और उन्हें उस दिव्यलोक के दर्शन कराये जहां पर तैंतीस करोड़ देवी देवता विराजमान थे।

द्वापर में कुरुक्षेत्र युद्ध के पश्चात अपने गुरुजनों एवं बंधु बांधवों की हत्या के पाप से बचने के लिए पाण्डवों ने हिमालय में प्रस्थान किया। यहां से गुजरते हुए पाण्डवों ने गुफा में कुछ दिन भगवान शिव की आराधना की। माना जाता है कि तत्पश्चात गुफा तब खुली जब आठवीं सदी में कत्यूरी शासनकाल के दौरान आदि शंकराचार्य यहा आये थे उन्होंने यहाँ शिव की पूजा अर्चना की और यहाँ पर चांदी का एक शिवलिंग भी स्थापित किया।

patala buvneswar
source

गुफा के अंदर यह है गणेश जी का सिर जो इस कथा की याद दिलाता है कि भगवान शिव ने गणेश जी का सिर काट दिया था। कहतें हैं कि एक बार भगवान शिव ने क्रोधवश गणेशजी का सिर धड़ से अलग कर दिया था, बाद में माता पार्वतीजी के कहने पर भगवान गणेश को हाथी का मस्तक लगाया गया था, लेकिन जो मस्तक शरीर से अलग किया गया, वह शिव ने इस गुफा में रख दिया था।

पाताल भुवनेश्वर के बारे में स्कन्ध पुराण के मानस खण्ड में विस्तृत विवेचना की गई है कि जो भी मनुष्य उस अलौकिक पारब्रह्म के अस्तित्व को लेकर थोड़ी सी भी शंका करता है उसे पाताल भुवनेश्वर के दर्शन अवश्य कर लेना चाहिए प्रकृति के इस रूप को निकट से देखने से  मन में रोमांच भर जाता है।

  ')}

Debanand pant September 3, 2017
Share this Article
Facebook Twitter Whatsapp Whatsapp Telegram
Previous Article कार का हुआ ये हाल, लेकिन बाल बाल बच निकली दो युवकों की जान
Next Article वीडियो: देखिऐ “फुर्की बांद” में अपना जलवा बिखेरनी वाली इस जोड़ी का दुबई में खूबसूरत डांस।
Leave a comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अभी-अभी

महानगर भाजपा के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भेंट की
उत्तराखंड समाचार
उत्तराखंड ने रणजी ट्रॉफी के क्वार्टर फाइनल में बनाई जगह, जबरदस्त खेल से खिलाड़ियों ने किया प्रभावित
उत्तराखंड क्रिकेट
क्रिकेटर ऋषभ पंत की सहायता करने वाले हरियाणा रोडवेज के चालक-परिचालक व अन्य दो युवकों को किया गया सम्मानित
उत्तराखंड समाचार
बदरीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल को प्रातः 7:10 बजे खुलेंगे
चारधाम यात्रा
जिलाधिकारी श्रीमती सोनिका ने 74 वे गणतंत्र दिवस के अवसर पर कलेक्ट्रेट परिसर में ध्वज फहराया
उत्तराखंड समाचार देहरादून
रुद्रप्रयाग : हर्षोल्लास के साथ मनाया गया 74वॉं गणतंत्र दिवस
उत्तराखंड समाचार रुद्रप्रयाग
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री आवास में राष्ट्रीय ध्वज फहराया
उत्तराखंड समाचार
जिलाधिकारी डॉ० आशीष चौहान की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में संपन्न हुई बैठक, कन्या भ्रूण हत्या पर सख्ती के साथ कार्यवाही के निर्देश
उत्तराखंड समाचार पौड़ी गढ़वाल

Stay Connected

22.3k Followers Like
1k Followers Follow
45 Followers Pin
550 Followers Follow
10.5k Subscribers Subscribe
Raibaar Uttarakhand Raibaar Uttarakhand
Follow US

@Copyright 2017-2022 Raibaar Uttarakhand.

  • About Us
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Donate

Removed from reading list

Undo
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?