दुनियाभर में आज भी मानसिक रूप से स्वास्थ्य रहने के प्रति जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य इसलिए मनाया जाता है ताकि लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति भी आगाह किया जा सके। हम पूरी तरह स्वास्थ्य तभी माने जायेंगे जब हम शारीरिक और मानसिक दोनों बीमारियों से दूर होंगे।
मानिसक बीमारियां किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य में बाधा उत्पन्न करते हैं। आज दुनिया में लोग डिप्रेशन या फिर किसी ना किसी और मानसिक बीमारी के शिकार हैं। ये बीमारी आज के दौर में इतनी ज्यादा बढ़ गई है की हर दूसरा व्यक्ति इससे ग्रस्त है। लोगों को मानिसक रोग की चपेट में आने से कई बाहर आत्महत्या का ख्याल भी आता है। हमारे देश में लोगों का मानसिक स्वास्थ्य कितना बेहतर है उसका अनुमान लगातार बढ़ रही आत्म हत्याओं से लगाया जा सकता है इसलिए मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करना पर्याप्त नहीं है इसे गंभीरता से समझना होगा।
लोग अक्सर इन बीमारियों की जद्द में आकर व्यक्ति अंदर ही अंदर हीन भावना को पालने लगता है। किस कारण मानसिक बीमारियां उत्पन्न होती है। हम मानसिक बीमारियों को खुद ही काबू पा सकते हैं। सबसे पहले उन कारणों को समझना होगा। फिर उसके लक्षणों को समझना होगा। इसके अलावा मानसिक बिमारियों से दूर रहने सुझाव और इलाज दोनों के बारे में जानकारी रखनी होगी। यदि आप भी मानसिक रोग के बारे में अधिक नहीं जानते हैं कि आपको यह लेख आगे तक ज़रूर पढ़ना चाहिए ताकि आप इसके लक्षणों, कारणों को पहचान सकें और इसका सही इलाज करा सकें।
मानसिक रोग होने के कारण-
दुनियाभर में कई प्रकार की मानसिक बीमारियों का अध्ययन वैज्ञानिक कर रहे हैं। मानसिक रोग होने के कई कारण हो सकते लेकिन कुछ प्रमुख बातें हैं जिससे मानसिक बीमारियां उत्पन्न हो सकती है-
- परिवार में लड़ाई-झगड़ा होना मानसिक बीमारियों का सबसे बड़ा कारण बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि अगर किसी घर में हर रोज़ लड़ाई- जगड़े होते हैं, तो इसका असर बच्चे पर बुरा असर पड़ता है। इसकी वजह से सिर्फ मा-बाप ही नहीं बच्चे भी मानसिक रोग से शिकार हो सकते हैं, जिसके लिए मनौविज्ञानिक सहायता की ज़रूरत पड़ती है।
- असफल होने पर हीन भावना पालना मानिसक रोग का दूसरा बड़ा कारण है। बताया जाता है कि किसी कार्य में असफल होने पर लोग इसी मौके को आखिरी मौका समझ कर खुद के अंदर हीन भावना को पैदा कर देते हैं। कुछ लोग असफलता को इतनी गंभीरता से लेते हैं कि वो आत्महत्या जैसे कदम तक उठा देते हैं।
- सिर पर चोट लगने की वजह से कई बार मानसिक रोग उत्पन्न होने की संभावना रहती है क्योंकि मस्तिष्क को चोट आने पर आदमी के विचार और भाव में स्वाभाविक रूप से बदल जाते हैं। इसका उस व्यक्ति की जिंदगी में असर पड़ता है।
- अपौष्टिक भोजन करने वाले लोग मानसिक रोग का शिकार हो सकते हैं। पौष्टिक आहार हमारे मानसिक और शारारिक स्वास्थ्य के लिए बेहद आवश्यक है ऐसे में जो निरंतर अपौष्टिक भोजन करते हैं मानसिक बीमारियों का शिकार हो सकते हैं। .
- नशीले पदार्थों का सेवन करना मानसिक बीमारियों को दावत देने जैसा है। नशे की आदत शारीरिक और मानसिक स्वास्थ को भी खराब करता है। नशे में व्यक्ति का दिमाग बेहद कम रूप से काम करता है। गंभीर आदत पड़ने पर दिमाग को भी गंभीर आघात पहुँचता है जिससे मानसिक रोग हो सकते हैं।
- मन में जरूरत से ज्यादा इच्छाएं पालना व्यक्ति के लिए बेहद घातक हो सकता है। आदमी हमेशा चाहत रखता है कि उसकी जिंदगी बेहतर तरीके से गुजरे उसके पास सभी संसाधन हो जो दूसरे के पास हैं। हाँ सपने देखना अच्छी बात हो सकती है लेकिन उन सपनो को पूरा करने को लेकर हर वक्त परेशान रहना आपको मानसिक रोग की तरफ धकेल सकता है।
मानसिक रोग लक्षण-
मानसिक रोग होने के कुछ कारण आपने उपर पढ़े लेकिन हम कहीं मानिसक रोग का शिकार तो नहीं हैं ये जानने के लिए हमें मानसिक रोग के लक्षणों को समझना होगा –
- उदास और अकेलापन में रहना मानिसक रोग का सामान्य और आम लक्षण है। कई बार हम किसी ख़ास वजह से उदास हो सकते हैं लेकिन हमेशा उदास रहना मानसिक बिमारी का एक लक्षण है। मानसिक रोगी अकेलेपन का आदी हो जाता है।
- दोस्तों और परिवार से अलग रहना मानसिक रोग का लक्षण है। इसके अलावा बार बार मूड़ बदलना किसी काम में ध्यान न लगना भी मानसिक रोग का लक्षण हो सकता है। इसके अलावा किस व्यक्ति के व्यवहार में बार-बार बदलाव मानसिक बिमारी का संकेत हो सकता है।
- भूल जाना कोई समस्या नहीं है लेकिन हमें इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए कुछ लोगों में ऐसा देखा जाता है कि वे कुछ देर पहले हुई चीजों को भूल जाते हैं। दरअसल, यह एक मानसिक रोग है, जिसे भूलने की बीमारी या अल्जाइमर के नाम से जाना जाता है। कई बार इसकी वजह से आपकी जिंदगी में तनाव की स्थिति पैदा हो जाती है। इस तरह यह स्थति अन्य मानसिक बीमारियों को भी जन्म देती है।
- बात-बात पर परेशान होना गंभीर मानसिक रोग का लक्षण है। दरअसल, देखा गया है कि हम पारिवारिक समस्याओं के समाधान की वजाय सिर्फ परेशान रहते हैं, उन्हें नींद भी नहीं आती है, आदत के हिसाब से वो समस्या के समाधान के बाद भी खुश नहीं होते। ऐसी स्थिति मानसिक रोग होने का संकेत हो सकती है।
- घबराहट और डर कुछ लोगों के अदंर डर और घबराहट इस कदर बैठ जाता है कि वे अपनी बात दूसरे के सामने रखने के घबराते हैं। तथा को मुश्किल काम करने से डरते हैं। हालांकि इस स्थिति को गंभीर नहीं माना गया है लेकिन जिनके अंदर ऐसी घबराहट और डर समय के साथ खत्म नहीं होता तो यह मानसिक रोग का लक्षण है।
मानसिक रोग से कैसे बचें और दूर भगाएं-
यदि हम अपने मानसिक रोग को समझ सकते हैं तो उसका इलाज भी आसानी से कर सकते हैं। गंभीर स्थित में डॉक्टर की जरूरत होती है लेकिन अधिकरतर परिस्थितयों में हमें खुद के व्यवहार में परिवर्तन लाने की आवश्यकता होती है-
- अगर आप मानसिक रोग से हमेशा मुक्त होना रहना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको योग को अपने जीवन में उतारना होगा। यदि आप मानसिक रोगी हैं तो आज से योगा करना शुरू कर दें। योग हमारे शरीर के लिए काफी लाभदायक है यह दिमाग को शांत करता है दिमाग को ऊर्जा भी पहुंचाता है, जिससे वह मानसिक रोग से ठीक हो जाता है।
- अगर आप किसी मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं तो आपको मनोचिकित्सक/साइकाइट्रिस्ट से जरूर मिलना चाहिए, क्योंकि मानसिक बीमारियां अलग-अलग प्रकार की होती हैं। जिसका इलाज फिजियोथेरेपी के आधार पर की जाती है। क्योंकि मानसिक रोग की दवाइयां इतनी कारगर सबित नहीं होती हैं।
- हमें अपने जीवन में सकारात्मक सोच से आगे बढ़ना चाहिए, जब आप अपने पहले कुछ असफलताओं का सामना करते हैं तो आपको अपने दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ते रहना चाहिए और अपनी समस्याओं को नहीं देखना चाहिए।
- यदि आपको नशे की आदत है तो नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती होना चाहिए, नशा मुक्ति केंद्र में व्यक्ति के अंदर के मानसिक विकार दूर हो जाते हैं, जीवन में नई ऊर्जा मिलती है। यह कई व्यक्तियों के अनुभव से सामने आया है।
- खुद पर भरोषा करें, यानी खुद में आत्मविश्वास जगाएं। हीन भावना न पालें, भरपूर नींद लें, हँसते-मुस्कुराते रहे, दोस्तों के समय बिताएं, दूसरों से खुद की तुलना या फिर खुद की तुलना दूसरों से न करें। मनोंरजन और कॉमेडी प्रोग्राम देखें। बच्चों पर पढ़ाई का अत्यधिक दबाव न डालें उन्हें खेलने का पूरा मौका दें। किसी को अपमानित न करें, खुद के सम्मान को नीचे न गिरने दें, समाज में अपनी इसी सोच को लेकर हर किसी को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने का प्रयास करें।