अगर प्रकृति की खूबसूरती देखनी है तो उत्तराखंड के सहस्त्रताल जरूर आएं। यह ताल टिहरी और उत्तरकाशी जिलों के बॉर्डर पर स्थित है और खतलिंग ग्लेशियर के पूर्व में पड़ता है। यह ग्लेशियर भिलंगना नदी का एक स्रोत है। अपने आप में इस ग्लेशियर की यात्रा भी पर्यटकों को आनंद की अनुभूति देती है।
खैर गंगी अंतिम गांव से ये यात्राएं शुरू होती हैं, सहस्त्रताल के ट्रेक में हरी घास के मैदान देख पर्यटक निशब्द रह जाते हैं। यदि आप रोमांच और घूमने के शौकीन हैं तो आप यहां पहुंचकर जोगिन समूह, कीर्ति स्तम्भ और मेरू की चोटियों के खूबसूरत नजारों का आनंद भी ले सकेंगे। इस ताल के आस-पास अन्य झीलें भी मौजूद है। जिसमे दूधी ताल, दर्शनताल, लुम्बताल, लिंगताल, कोकालीतल, नरसिंगताल और परिताल आदि नाम शामिल हैं।
कुश कल्याण और क्यारकी नाम के खूबसूरत घास के मैदान देखते ही मन मोहित हो जाता है। सहस्त्रताल के आस-पास उगने वाले ब्रह्मकमल झील की खूबसूरती पर चार चाँद लगा देते हैं।
हम आपको यहां की कुछ खूबसूरत तस्वीरें दिखा रहे हैं, जिन्हें देखकर आप खुद भी महसूस करेंगे कि यह जगह स्विट्ज़रलैंड से कम नहीं है। यह तो ऐसी जगह है जहां सिर्फ और सिर्फ प्राकृतिक वातावरण समाहित है और सहस्त्रताल तो अपने आप में विख्यात है।
यहां का भ्रमण करना इतना आसान नहीं है इस यात्रा के लिए पर्यटकों को खुद ही सभी बंदोबस्त करने होते हैं। साथ ही मार्ग ट्रेक करने के लिए जानकारी होनी भी जरूरी है। टिहरी घनसाली से होते हुए घुत्तू पहुंचकर इस यात्रा का पड़ाव शुरू होता है। घुत्तू से बूढ़ाकेदार पहुंचना होता है इसके बाद आपको ट्रेक करके 15 किमी दूर बेलक नाम की जगह पहुंचेंगे इसके बाद फिर 10 किमी ट्रेक करके सहस्त्रताल पहुंचते हैं।
प्रसिद्ध यात्रा लेखक और पहाड़ प्रेमी बिल ऐटकन ने इस क्षेत्र को “गढ़वाल के झील जिले” के रूप में वर्णित किया है। साथ ही एक किंवदंती के अनुसार एक राजा ने भगवान विष्णु को एक हजार (सहस्त्र) ब्रह्म कमल पुष्प चढ़ाकर इस झील के तट पर एक अनुष्ठान किया था।