बिहार की मैथिली ठाकुर ने ‘गढ़वाली मांगल गीत’ को अपनी आवाज में गाकर उत्तराखंड के लोगों का दिल जीत लिया है। सोशल मीडिया पर मिल रही ढेरों शुभकामनायें इस बात का उदाहरण हैं कि मैथिली ठाकुर द्वारा गाया मांगल गीत लोगों को कितना पसंद आ रहा है। मैथिली ठाकुर हिंदुस्तान की संस्कृति के साथ साथ हमारी देवभूमि उत्तराखंड की संस्कृति को भी बढ़ावा दे रही हैं। पूरे उत्तराखंड के लिए यह गर्व का विषय है।
कुछ दिन पहले मैथिली ने कुमाऊंनी स्वाल पथाई गीत गाया था उसे भी उत्तराखंड के लोगों काफी पसंद किया था। अब एक बार फिर मैथिली ठाकुर ने उत्तराखंड के पारम्परिक संगीत में रूचि लेते हुए ‘गढ़वाली मांगल गीत’ भी गाया है।
मांगल गीत गाना इतना आसान नहीं होता है और वो भी जब तुम गढ़वाली या कुमाउनी भाषा नहीं जानते हो तब तो इसे बड़ा ही मुश्किल माना जाता है लेकिन मैथिली ने शब्दों पर बेहद ख़ूबसूरती से पकड़ बनाते हुए साबित किया कि मन में कुछ अलग करने की सोच को मजबूत कर लें तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है।
आज के समय में मैथिली ठाकुर को देश और दुनिया में लाखों-करोड़ों लोग रोज सुनते हैं। बता दें कि मैथिली ने जिस गीत को गाया है वह उत्तराखंड का एक मांगल गीत है। उत्तराखंड में शादियों में यह गीत गाया जाता है। मैथिली ठाकुर एवं उनके सहयोगी अयाची ठाकुर एवं रिशव ठाकुर द्वारा इस गीत को गाने का बहुत अच्छा प्रयास किया गया है।
मैथिली ने फेसबुक पर लाइव आकर उत्तराखंड के लोगों का आभार व्यक्त किया है, उन्होंने कहा कि लोगों ने मुझे इतना सारा प्यार, शुभकामनाएं दी हैं कि मुझे बहुत मोटिवेशन मिला है और मैं इसी तरह अपनी देश की क्षेत्रीय भाषाओं में और भी अच्छा करने की कोशिश करुँगी।
बता दें कि मैथिली ठाकुर राइजिंग स्टार के सीज़न-1 2017 में भाग लिया था। मैथिली शो की पहली फाइनलिस्ट बनी थी। अक्सर वह मैथिली और भोजपुरी जिसमें छठ गीत और कजरी गाती हैं। वह अन्य राज्यों से कई तरह के बॉलीवुड कवर और अन्य पारंपरिक लोक संगीत भी गाती हैं।
मैथिली का जन्म 25 जुलाई 2000 को बिहार के मधुबनी जिले में हुआ, उनके पिता रमेश ठाकुर लोकगायक और माता भारती ठाकुर, एक गृहिणी हैं। उसके दो छोटे भाई हैं, जिनका नाम रिशव और अयाची है, जो उनकी बड़ी बहन की संगीत यात्रा का अनुसरण करते हैं। देखिये वीडियो-