उत्तराखंड के व्यंजन पौष्टिक आहार से भरपूर होते हैं। यहां के व्यंजनों की खासियत यह होती है कि आसानी से बन जाती है। अब भट्ट के डुबुक ही ले लीजिये। भट्ट के डुबुक बनाना बहुत आसान है, हालांकि इसमें थोड़ा समय ज्यादा लगता है। करीब एक घंटा। लोहे की कड़ाई में इसे पकाया जाता है। इसे बनाने के लिए सबसे पहले काले रंग के भट्टो को भिगोया जाता है।
अच्छे से भीगने के बाद इन्हे सिलबट्टे में या मिक्सर में पीस लिया जाता है और उसके बाद इसे अलग से तैयार करना होता है। इसे “भात” के साथ खाया जाता है। तो चलिए अब हम आपको डुबुक बनाने की वह विधि बताते हैं जो बेहद आसान है और जब यह डुबुक बन जायेगी तो आप इसे खाने के लिए टूट पड़ेंगे, आगे विधि जानिए-
भट्ट के डुबुक बनाने की विधि-
पहाड़ो में सोयाबीन की किस्म “काला भट्ट ” पाया जाता है, आप काली दाल के भी इसी तरह डुबुक बना सकते हैं। विधि वही रहेगी जो हम बताने जा रहे हैं। इसके लिए सामग्री चाहिए- काले भट्ट, चावल, तेल, घी, जीरा, लहसुन, प्याज, हींग, हरी मिर्च कटी हुई, नमक, हल्दी, धनिया पाउडर और हरी धनिया
भट्ट को धोएं और ताजे पानी में 2 घंटे तक भिगो दें, भट्ट के साथ एक मुठी चावल भी भीगा लें। दोनों के मिक्सर को ब्लेंडर का उपयोग करके मोटा पेस्ट बना लें, अगर आपके पास सिलबट्टा है तो उसका प्रयोग करें। अब कडाई में तेल गर्म कर लें। जीरा और हिंग का तड़का लगाएं।
बारीक कटी हुई हरी मिर्च डालें, उसमे स्वादानुसार नमक, हल्दी और धनिया पाउडर डालें। आप तड़के में बारीक प्याज और लहसुन भी डाल सकते हैं। अब भट्ट के मोटे पेस्ट को मिला लें। और थोड़ी देर इसका अच्छा मिक्सर कर पकाएं और फिर 4 कप पानी डाल दें। करीब आधा घंटा लगातार घुमाते हुए इसे पकाएं जब ग्रेवी गहरे हरे रंग में दिखने लगेगी। डुबके कड़ाही के तल में लगते रहते हैं, इसलिए इसमें लगाता करछी चलाते रहिए।
जब आपको लगे कि डुबुक पूरी तरह तैयार है तो गैस बंद करें। हरा धनिया बारीक काटकर डाल दें, चावल के साथ इसे गर्म-गर्म सर्व करें। घी की एक चम्मच इसके स्वाद को दोगुना बना देगा इसलिए कोशिश करें कि घी से ही तड़का लगे।
उत्तराखंड के कुमाऊं जम्मू नाम की हिमालयन बूटी का तड़के के लिए उपयोग होता है। यह प्रजाति ख़ास हिमालय मैं पायी जाती है जिसकी वजह से इसके स्वाद व खूसबू मैं काफी फर्क पड़ जाता है, इसके उपयोग से गैस, अपच व कई बीमारियोँ से छुटकारा मिल जाता है। इसलिए आप तड़के में जम्मू का इस्तेमाल कर सकते हैं। आजकल ऑनलाइन माध्यम से ये जड़ी-बोटियां उपलब्ध होती हैं।