देहरादून, 28 जुलाई 2021: देहरादून में मुख्या न्यायिक मजिस्ट्रेट, देहरादून के आदेश पर प्रेम नगर थाने में चार अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी धारा 420 , 467,468, 471, 120-B, 409 के अंतर्गत मुक़दमा दर्ज किया गया है। कम्पनी के रिटायर्ड क्लर्क सुशील कुमार आर्या और उनकी पत्नी त्रिशला आर्या ने कूटरचित दस्तावेज बना कर करोड़ो की जमींन अवैध रूप से बेच दी थी।
डीटीसी इंडिया लिमिटेड द्वारा वर्ष 1979 में सुशील कुमार आर्या पुत्र स्व ओ पी शास्त्री हाल निवासी स्टाफ बाबूलाइन, आर्केडिया ग्रान्ट, देहरादून को अपनी कंपनी में नौकरी पर रखा था। वर्ष 1983-84 में ऑफिस के कार्यो में लापरवाही बरतने के कारण कंपनी द्वारा उन्हें निकल दिया गया। फिर उसके द्वारा कंपनी के सीनियर्स से माफ़ी मांगने और भविष्य में कोई लापरवाही नहीं बरतने का वादा करने पर उन्हें फिर से नौकरी पर वापस रख लिया गया और कंपनी के स्टाफ क्वार्टर मे मरमत करवा कर उनको रहने के लिए दे दिया गया।
2016 में सुशील कुमार आर्य कम्पनी से रिटायर्ड हो गए थे। जिसके बाद डी टी सी इंडिया लिमिटेड कम्पनी द्वारा उन्हें स्टाफ क्वार्टर खली करने के सम्बन्ध में पत्र लिखा गया। इस पर भी उन्होंने कंपनी के क्वार्टर को खली नहीं किया और वही रहने लग गए। डी के सिंह, पूर्णकालिक निदेशक, डी टी सी इंडिया लिमिटेड को हाल ही में पता चला कि सुशील कुमार आर्य ने 5 अप्रैल 2021 में कम्पनी की खाता संख्या 2478 खसरा नं० 588 मी की 3560 वर्ग मीटर आबादी भूमि स्थित मौजा, आर्केडिया ग्रान्ट, जमीन जिसमे की कम्पनी का स्टाफ क्वार्टर भी बना है और वह स्वयं भी रहता था, दो व्यक्तियों संजय सिंह कटारिया पुत्र मंगत राम कटारिया निवासी ग्राम जस्सोवाला, देहरादून व सतीश कुमार पुत्र अनन्त राम निवासी ग्राम ढकरानी, विकासनगर, देहरादून को सत्तर लाख रूपये में बेच दिया था, जबकि कंपनी की कथित भूमि की सरकारी कीमत तीन करोड़ बीस लाख रूपये से अधिक है।
विक्रय पत्र पर सुशील कुमार आर्या की पत्नी त्रिशला आर्या भी गवाह बनी है। सुशील कुमार आर्या और उसकी पत्नी त्रिशला आर्या का कंपनी की भूमि पर आंशिक कब्ज़ा भी किया हुआ था और इसी का फायदा उठाते हुए उन्होंने आपराधिक षड़यंत्र के तहत संजय सिंह कटारिया और सतीश कुमार के साथ मिलकर बेईमानी व कपटपूर्वक आशय से कूटरचित दस्तावेज तैयार किये और स्वयं को कंपनी की भूमि/सम्पति का मालिक दर्शाया जबकि यह लोग अच्छी तरह जानते थे कि सुशील कुमार आर्या इस भूमि/सम्पति का मालिक नहीं है।
कंपनी द्वारा इस भूमि पर बहुत पहले से आम जनता के लिए एक बोर्ड भी लगा रखा है। जिसमे स्पष्ट रूप से लिखा है कि यह सम्पति डी टी सी इंडिया लिमिटेड की है। इसके उपरान्त भी सुशील कुमार आर्या, त्रिशला आर्या, संजय सिंह कटारिया और सतीश कुमार ने मिथ्या दस्तावेजों के आधार पर बैनामा कर कूटरचना की व कंपनी को नुकसान पहुंचने के उद्देश्य से कंपनी की भूमि/सम्पति को विक्रय कर कंपनी के साथ छल और आपराधिक न्याय भंग किया व स्वयं को सदोष लाभ पहुंचाया।