उत्तराखंड में, राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना एक महत्वपूर्ण पहल लागू की है, जिसका उद्देश्य सुदूर ग्रामीण पहाड़ी क्षेत्रों में पशु चारे की कमी की चुनौती का समाधान करना है। इस योजना के तहत, करीब 15500 हजार लाभार्थियों को करीब 27 हज़ार टन साइलेज/पशु चारा वितरित किया गया है, जिससे पशुधन उत्पादकता में सुधार हुआ है और ग्रामीणों की आर्थिक समृद्धि हुई है। यह पहल पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं के लिए विशेष रूप से फायदेमंद साबित हुई है, क्योंकि यह उन्हें जंगलों के संसाधनों पर निर्भर हुए बिना घास प्राप्त करने में सक्षम बनाती है।
मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना ने उत्तराखंड में सुदूर ग्रामीण समुदायों को सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जरूरतमंद लोगों को साइलेज/पशु चारा वितरित करके, इस योजना ने पहाड़ी क्षेत्रों में पशु चारे की कमी की चुनौती को सफलतापूर्वक संबोधित किया है, जिससे पशुधन उत्पादकता में सुधार हुआ है। बदले में, इस समर्थन से ग्रामीणों की आर्थिक भलाई में वृद्धि हुई है, क्योंकि वे अपनी आजीविका के लिए स्वस्थ और अधिक उत्पादक पशुधन पर भरोसा करने में सक्षम हैं।
इसके अलावा, इस योजना का इन सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं पर विशेष रूप से सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। उन्हें अपने घरों से ही घास तक पहुंच प्रदान करके, इस पहल ने जंगलों में संसाधनों की खोज करने के बोझ को कम करने में मदद की है। इससे न केवल इन महिलाओं के लिए समय और प्रयास की बचत हुई है, बल्कि उन्हें सुरक्षा और सशक्तिकरण की भावना भी मिली है, क्योंकि अब वे अपने पशुधन की जरूरतों के लिए बाहरी संसाधनों पर निर्भर नहीं हैं।
सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने उत्तराखंड की हजारों महिलाओं के जीवन पर मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना के महत्वपूर्ण प्रभाव पर प्रकाश डाला है। इस पहल के माध्यम से, महिलाएं साइलेज/पशु चारे के वितरण से लाभान्वित होने में सक्षम हुई हैं, जिससे पशुधन उत्पादकता और आर्थिक कल्याण में सुधार हुआ है। इस योजना ने न केवल पशु चारे की कमी की चुनौती का समाधान किया है,बल्कि महिलाओं को अपने घरों से ही आवश्यक संसाधनों तक पहुंच प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाया है।
उत्तराखंड में मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना पशु चारे की कमी की चुनौती का समाधान करके सुदूर ग्रामीण समुदायों, विशेषकर महिलाओं को महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करने में सहायक रही है। इस पहल ने न केवल पशुधन उत्पादकता और आर्थिक कल्याण में सुधार में योगदान दिया है, बल्कि महिलाओं को अपने घरों से आवश्यक संसाधनों तक पहुंचने में सक्षम बनाकर उन्हें सशक्त भी बनाया है। परिणामस्वरूप, इस पहल का उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में हजारों लाभार्थियों के जीवन पर महत्वपूर्ण और सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।