वाराणसी में स्थित मणिकर्णिका घाट पर सूर्यास्त के बाद शवों का दाह संस्कार किया जाता है, हालाँकि हिन्दू रीति-रिवाज के अनुसार सूर्यास्त के बाद शवों का दाह संस्कार नहीं किया जाता है लेकिन फिर भी इस गात की मान्यता एकदम अलग है मणिकर्णिका घाट पर न सिर्फ सूर्यास्त के बाद बल्कि कभी भी दाह-संस्कार किया जा सकता है। लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि ऐसा ही घाट उत्तराखंड में भी मौजूद है जिसका महत्व बेहद ही प्राचीन और धार्मिक है।
अल्मोड़ा के श्री विश्वनाथ घाट में किसी भी समय अंतिम संस्कार किया जा सकता है। माना जाता है कि मणिकर्णिका घाट की तरह अल्मोड़ा का यह घाट भी अनादि काल में स्थापित हुआ था। मान्यता है कि भगवान शंकर यहां औघड़ रूप में विराजते हैं। यहा जिनका दाह संस्कार किया जाता है, उन्हें सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है, क्योंकि शिव औघड़ रूप में मृत्यु को प्राप्त लोगों को कान में तारक मंत्र देकर मुक्ति का मार्ग देते हैं। बात यहीं खत्म नहीं होती। मान्यता यह भी है कि यहा से जिसे एक बार मोक्ष मिल जाता है उसे फिर कभी गर्भ में जीवन नहीं मिलता।
श्री विश्वनाथ घाट में भगवान शिव का विशाल मंदिर स्थित है जहां पर महाशिवरात्रि में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है और इस मेले को देखने के लिए पर्यटकों की काफी भीड़ रहती हैं। बाबा विश्वनाथ और मां पार्वती अन्नपूर्णा के रूप में भक्तों का कल्याण करते हैं।
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