देहरादून : पंजाब में कांग्रेस के प्रभारी और उत्तराखण्ड के पूर्वमुख्यमंत्री हरीश रावत के पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष सिद्धू और 4 कार्यकारी अध्यक्षों को पंज प्यारे की संज्ञा दिये जाने से इतना बबाल मचा कि उन्हें इसके लिए सोशल मीडिया पर खुलेआम मांफी मांगनी पड़ी। लेकिन सोशल मीडिया पर इसके बाद जो सवाल सामने आ रहे हैं पूर्व मुख्यमंत्री को उन सवालों का जवाब देना मुश्किल हो गया है।
दरअसल, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्टी उत्तराखंड के चुनावों में पोस्टर वार खेलकर अपनी रणनीति तैयार करते दिख रहे हैं। इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष सिद्धू और 4 कार्यकारी अध्यक्षों को पंज प्यारे की संज्ञा दी तो बड़ा वबाल शुरू हो गया, बढ़ते विरोध के बीच हरीश रावत ने तुरंत अपने बयान को लेकर माफ़ी मांगी और अपने ट्विटर हैंडल फेसबुक पेज पर ‘पंज प्यारे’ टिप्पणी के लिए मांफी मांगते हुए लिखा कि, कभी आप आदर व्यक्त करते हुये, कुछ ऐसे शब्दों का उपयोग कर देते हैं जो आपत्तिजनक होते हैं। मुझसे भी कल अपने माननीय अध्यक्ष व चार कार्यकारी अध्यक्षों के लिए पंज प्यारे शब्द का उपयोग करने की गलती हुई है।
मैं देश के इतिहास का विद्यार्थी हूंँ और पंज प्यारों के अग्रणी स्थान की किसी और से तुलना नहीं की जा सकती है। मुझसे ये गलती हुई है, मैं लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ। मैं प्रायश्चित स्वरूप अपने राज्य के किसी गुरुद्वारे में कुछ देर झाड़ू लगाकर सफाई करूंगा। मैं सिख धर्म और उसकी महान परंपराओं के प्रति हमेशा समर्पित भाव और आदर भाव रखता रहा हूँ। मैंने चंपावत जिले में स्थित श्री रीठा साहब के मीठे-रीठे, देश के राष्ट्रपति से लेकर, न जाने कितने लोगों को प्रसाद स्वरूप पहुंचाने का काम किया है।
जब मुख्यमंत्री बना तो श्री नानकमत्ता साहब और रीठा साहब, जहां दोनों स्थानों पर श्री गुरु नानक देव जी पधारे थे, सड़क से जोड़ने का काम किया। हिमालयी सुनामी के दौर में हेमकुंड साहिब यात्रा सुचारू रूप से चल सके, वहां मेरे कार्यकाल में हुये काम को आज भी देखा जा सकता है। समय कुछ और मिल गया होता तो घंगरिया से हेमकुंड साहब के मार्ग तक रोपवे का निर्माण भी प्रारंभ कर दिया होता। मैं पुनः आदर सूचक शब्द समझकर उपयोग किये गये अपने शब्द के लिये मैं सबसे क्षमा चाहता हूँ।
हरीश रावत जी के इस माफीनामे के बाद सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने उनकी खूब तारीफ की लेकिन कुछ यूजर्स ने उन्हें घेर लिया और कई तरह के सवाल दाग दिए-
आपने पहले गणेश गोदियाल की तुलना भगवान गणेश से करके हिंदू धर्म को पूजने वालों की भावनाएं को ठेस पहुंचाई।
अब एक अध्यक्ष और चार कार्यकारी अध्यक्ष को पंच प्यारे कहकर सिख धर्म को मानने वालों की भावनाएं आहत कीं।
सिर्फ ट्वीट करके नहीं बल्कि वीडियो के माध्यम से माफी मांगिए हरदा सर।
— ऋषभ शुक्ला (@rishabh3d) September 1, 2021
कांग्रेस के नेताओ की जुबान सिर्फ हिन्दूओ और सिखों की धर्मिक भवना पर ही क्यो फिसलती है आज तक समझ नही आया😁😁😁 उत्तराखंड सभलो पंजाब का झगड़ा सुलझाने के चक्कर मै उत्तराखंड की ऊमीद खत्म हो गयी है
— Harsh.truth (@Harshtr36077349) September 1, 2021
फिलहाल हरीश रावत इन सवालों जवाब में सोशल मीडिया ट्वीटर पर एक पोस्ट दागा है जिसमे वे पोस्टर के माध्यम से प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के हाथों में त्रिशूल थमाकर उत्तराखंड से बीजेपी को भगाने का प्लान बता रहे है, ऊपर से वे हनुमान की तरह उड़ते हुए भगवान गणेश की तस्वीर को नमन करते दिख रहे हैं। अब इन तस्वीरों के माध्यम से हरीश रावत जी क्या साबित करना चाहते हैं। वह किसी को पता नहीं है। सायद वे इस पोस्ट से इन यूजर्स को जवाब देना चाहते होंगे। क्योंकि उन्होंने माफीनामे के बाद यह पोस्ट डाला है। खैर यूजर्स उनकी ऐसी पोस्टर पोस्ट पर उन्हें भला-बुरा बोल रहे हैं। लगता है कि हरीश रावत कहीं न कहीं ऐसी पोस्ट डालने में असहज भी हैं लेकिन फिर भी वे ऐसे पैंतरे पर किस्मत तलाश रहे हैं तो वह उनके लिए घातक भी हो सकता है कुल मिलाकर लगता है कि आखिर में इस जंग को हरीश रावत ही जीतेंगे, क्योंकि अगर वे गलती से किसी की धार्मिक भावनाएं आहत करते भी हैं तो तुरंत माफ़ी भी मांग लेते हैं। मतलब बड़ा दिल है रावत जी का।
#जय_श्री_गणेश#uttarakhand#congress #BJP4UK pic.twitter.com/ZUI4wK1XeN
— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) September 1, 2021