उत्तराखण्ड युवा संगठन के अध्यक्ष जे0डी0 सती ने कहा कि, हमारा संगठन उत्तराखण्ड राज्य को रणजी प्रतियोगिता में शामिल करने के बीसीसीआई की प्रशासनिक कमेटी के फैसले का स्वागत करता है। लेकिन बीसीसीआई की प्रशासनिक कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद उत्तराखण्ड राज्य क्रिकेट को मान्यता ने देकर प्रदेश के प्रतिभावान खिलाड़ियों व प्रदेशवासियों के साथ नाइंसाफी की है।
युवा संगठन ने उत्तराखण्ड राज्य क्रिकेट को मान्यता न देने के मामले में बीसीसीआई पर उंगली उठाते हुए, शीघ्र ही उत्तराखण्ड राज्य क्रिकेट को मान्यता देने की मांग की है। गौरतलब है कि बीती 18 जून को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बीसीसीआई द्वारा गठित प्रशासनिक कमेटी ने उत्तराखण्ड राज्य क्रिकेट को रणजी मैच खेलने के फैसले के साथ ही प्रदेश में कार्यरत क्रिकेट एसोसिएशनों की सहमति से एक कन्सेंन्सस कमेटी का गठन किया है।
उत्तराखण्ड गठन के 18वर्ष बाद भी प्रदेश क्रिकेट की मान्यता का मामला एसोसिशनों की आपसी लड़ाई और खींचतान में उलझा हुआ है। वहीं बीसीसीआई की उदासीनता ने भी समस्या को बढ़ाने का काम किया है। मामले को सुलझाने के कई प्रयास किये गये बावजूद मान्यता का मामला हल नहीं हो सका। प्रदेश की एक क्रिकेट एसोसिएशन (उत्तराखण्ड क्रिकेट एसोसिएशन) मान्यता के मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गयी। सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई की प्रशासनिक कमेटी को मामला हल करने के निर्देश दिये।
अफसोस की बात है कि, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद प्रशासनिक कमेटी ने उत्तराखण्ड राज्य क्रिकेट को मान्यता देने की बजाय कन्सेंसस कमेटी का गठन किया हैा जो किसी भी दृष्टि से उचित प्रतीत नहीं होता है। सती के मुताबिक बीसीसीआई एफिलेशन कमेटी की पूर्व रिपोर्ट के मुताबिक राज्य की किसी क्रिकेट एसोसिएशन को मान्यता प्रदान करनी चाहिए थी। वहीं उन्होंने कन्सेंसस कमेटी के गठन में लोढा समिति की सिफारिशों की घोर अनदेखी की बात भी उठाई। ')}