भारतीय चुनाव आयोग ने EVM मशीनों मे गढ़वडी वाली अफवाहों को खारिज कर दिया है
सबसे बड़ी बात वोटिंग के दिन सुबह मतदान शुरू करने से पहले मतदान केन्द्र की पोलिंग पार्टी द्वारा सभी उम्मीदवारों के मतदान केन्द्र पोंलिग एंजेट के सामने मतदान शुरू करने से पहले मॉक पोलिंग की जाती है और सभी पोलिंग एंजेट से मशीन में वोट डालने को कहा जाता है ताकि ये जांचा जा सके कि सभी उम्मीदवारों के पक्ष में वोट गिर रहा है कि नहीं।
ईवीएम में इंटरनेट से जुड़ा नहीं होता। इसलिए इसे किसी भी दशा में ऑनलाइन हैक नहीं किया जा सकता.
किस बूथ पर कौन सा ईवीएम जायेगा, इसके लिए रैंडमाइजेसन की प्रक्रिया होती है। यानी सभी ईवीएम को पहले लोकसभा वार फिर विधानसभा वार और सबसे अंत में बूथवार निर्धारित किया जाता है और पोलिंग पार्टी को एक दिन पहले डिस्पैचिंग के समय ही पता चल पाता है कि उसके पास किस सीरिज का ईवीएम आया है.
सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम टैंपरिंग से संबंधित जितने भी मामले पहले आये उनमें से किसी भी मामले में ईवीएम में टैंपरिंग सिद्व नहीं हो पाई है कुछ विरोधी हो सकते हैं जो ऐसी अपवाहों को फैला रहे हैं।
मशीने सील होती है ओर उनकी जांच फरोस्त चुनाव आयोग ही कर सकता है। दुनिया मे कोई भी व्यक्ति इसमे खामी नहीं पा सकता ये मशीने भरोसेमंद हैं।
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