उत्तराखंड के इतिहास में लोक परम्परा का विशेष महत्व रहा है, हमारा लोक संगीत और लोक नृत्य हमारी संस्कृति हमारी सभ्यता को दर्शाता है, और हमें एक अलग पहचान देता है। हमारी इस पहचान को हमारे लोक कलाकारों ने आज भी एक पहचान के रूप कायम रखा है। आज आपको ऐसी ही एक लोक कलाकारा के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि अपने निरंतर प्रयासों से उत्तराखंड की संस्कृति को आगे बढ़ाने में जुटी हैं। आज उन्हें हर एक उत्तराखंडी जानता है नाम है गीता उनियाल।
उत्तराखंड की सुपरस्टार अभिनेत्री गीता उनियाल को सायद हर कोई जनता होगा गीता जी का जन्म उत्तराखंड के एक संपन परिवार में हुआ। बचपन से ही अभिनय में रूचि के चलते उन्होंने 2004 में उत्तराखंड एल्बम में काम करना शुरू किया। फिर कभी पीछे नहीं देखा और वो हर एक एल्बम में हिट होती चली गयी।
उन्होंने 2011 में विकास उनियाल से लव मैरिज की, उनका एक बेटा भी है जिसका नाम रुद्राश है। घर की जिम्मेदारियों के बीच भी वो अपने संस्कृति के लगातार काम करती रहती हैं। वो उन महिलाओं के लिए भी मिसाल हैं जो शादी के बाद घर के कामो में उलझकर अपना भविष्य बर्बाद कर देती हैं।
अगर आपके पास कला और हुनर है तो उसे कभी जाया नहीं करते यह बात हमें गीता उनियाल से सीखनी को मिलती है। शादी के करीब 7 साल हो गए हैं, लेकिन काम के प्रति उनका जज्बा आज भी काबिले तारीफ़ है। वो जितनी खुबसूरत हैं उत्तनी शालीन भी हैं। उत्तराखंड की लोकसंस्कृति से जुडा कोई नाम ढूँढोगे तो सबसे पहले गीता जी का ही नाम आएगा।
फ़िलहाल गीता उनियाल और मीनाक्षी उनियाल ‘गीतमिनी’ के माध्यम से उत्तराखंड संस्कृति सरक्षण के लिए कार्य कर रही हैं। गीतमिनी के माध्यम से वो चाहती हैं कि हम अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाएं। गीता उनियाल जी कहती हैं कि हमें अपनी संस्कृति और परम्परा को कभी नहीं भूलना चाहिए और हमें सदैव अपनी संस्कृति के सरक्षण के लिए काम करना होगा। आपको बता दें गीता उनियाल और मिनी उनियाल ‘गीतमिनी’ के माध्यम से लोगों को अपनी संस्कृति से जोड़ रही हैं।
गीत मिनी लोगों को अपनी पारम्परिक वेशभूषा की सुन्दरता के बारे में जागरूक करने के अलावा बचों को पारम्परिक नृत्य सिखाना और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से भी वो लोगों से जुडी रहती हैं। हमें उम्मीद है ‘गीतमिनी’ आगे भी इसी तरह लोकसंस्कृति के हित में कार्य करती रहेंगी।
उत्तराखंड के 200 से जादा एल्बम में काम कर चुकी गीता उनियाल का ये सफ़र काफी चुनौतियों से भी भरा था, लेकिन मेहनत और लगन ने उन्हें नयी दिशायें दी। फिल्म ‘भुली-ए-भुली’ में शानदार अभिनय सबके दिल और दिमाग में उत्तर गया। इससे पहले भी उन्होंने, फ्योंली जवान ह्वेगे, भगत और घंडियाल, ब्यो, पीड़ा, संजोग अभी जग्वाल कैरा, फिल्मो में भी काम किया इतना ही नहीं उन्होंने ‘द हैवोक’ नाम की हिंदी फिल्म में भी काम किया।
गीता जी की सुपरहिट एल्बम में सकला, खुद, नोनी भावना, छकना बांद, शुभागा, स्याली रौशनी, बिजुमा प्यारी, सुनीता स्याली, बिंदुली, बबिता, त्यारा सों, आंख्यों की तीस, जुन्याली रात और भी बहुत सारी एल्बम सामिल हैं। और आगे भी वो काम करती रहेंगी।
लोक संस्कृति और कलामंच के लिए किये गए उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए उन्हें कई सम्मान भी मिले हैं, 2009 में पर्वतीय बिगुल की और से बेस्ट एल्बम एक्ट्रेस के हिलीहुड सम्मान से नवाजा गया, जबकि 2010 में फिल्म पीड़ा के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का सामान मिला, इसके अलावा उन्हें ‘युफा अवार्ड 2017’ बेस्ट एक्ट्रेस से भी सम्मानित किया गया है।
कलाकारों के लिए जनता का प्यार और सम्मान भी किसी बड़े सम्मान से कम नहीं है जोकि सबसे जरूरी है। हमें चाहिए कि हम अपने लोक कलाकारों का हमेशा सपोर्ट और सहयोग करें। ')}