इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि कई खोये हुए बच्चों को ढूंढ़ने में सोशल मीडिया एक असरदार ज़रिए के रुप में उभरा है, लेकिन हर मामले में सोशल मीडिया का प्रयोग किया जाय यह भी उचित नहीं है जैसे कि अगर किसी लावारिस बच्चा मिल जाय तो उसकी जानकारी सोशल मीडिया पर नहीं डालनी चाहिए अगर ऐसा करते हैं तो वे कानूनी लफड़े में पड़ सकते हैं। इसलिए जान लीजिये कि लावारिस पाए गए बच्चे और संकटग्रस्त बच्चों की जानकारी व तस्वीरें सोशल मीडिया पर डालना कानूनी अपराध है।
सरकार ने लोगों से आग्रह किया है कि वे लावारिस पाए गए अथवा संकटग्रस्त बच्चों के बारे में सोशल मीडिया पर जानकारी का आदान प्रदान न करें क्योंकि इससे उन बच्चों के जीवन को खतरा हो सकता है। महिला और बाल विकास मंत्रालय ने कहा कि इस तरह की जानकारी चाईल्ड लाइन 1098 पर दी जानी चाहिए।
इस महामारी में किसी भी संकटग्रस्त बच्चे को देखें तो उसकी पहचान को गोपनीय रखते हुए उसकी सहायता करें। किसी भी प्रभावित बच्चे की तस्वीरें व संपर्क विवरण को सोशल मीडिया पर साझा करना भी अपराध की श्रेणी में आता है,जिन बच्चों ने अपने माता-पिता या फिर किसी एक को खो दिया है या अभिभावकों की किन्ही समस्याओं के चलते बच्चों को मदद की आवश्यकता है इस कोरोना के समय में अनाथ या अन्य परेशानियों से जूझ रहे बच्चों को जल्दबाजी में किसी भी अनाधिकृत व्यक्ति या संस्थान को कतई न सौंपें। ऐसे बच्चों की जानकारी भी चाईल्ड लाइन 1098 पर दी जानी चाहिए।
बता दें कि बच्चों को अवैध गतिविधियों में शामिल करना या अवैधानिक तरीके से गोद लेना या देना जे.जे.एक्ट, 2015 के अधीन एक दण्डनीय अपराध है। अगर आपके आसपास ऐसा हो रहा है तो आप इसके खिलाफ शिकायत भी दर्ज कर सकते हैं।