भारतीय खिलाड़ियों ने देश को दिवाली का एडवांस गिफ्ट दे दिया है। इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब भारत ने 100 से ज्यादा पदक जीतने का गौरव हासिल किया है। भारतीय खिलाड़ियों ने इस बार जो दम दिखाया वह बेहद शानदार रहा है।
भारत के लिए निशानेबाजी और तीरंदाजी में काफी सफलता मिली एथलेटिक्स में तो इस बार कमाल ही हो गया सिर्फ एथलेटिक्स में भारत ने 29 पदक जीते। खासकर पारूल चौधरी ने महिलाओं की 5000 मीटर दौड़ में आखिरी 30 मीटर में कमाल करके जो स्वर्ण पदक जीता वह हमेशा याद किया जाएगा। साथ ही भाला फेंक में जिस तरह भारत के दो खिलाड़ियों के बीच ही जंग देखने को मिली वह रोमांचित कर देनी वाली थी। भालाफेंक में ओलिंपिक और विश्व चैम्पियन नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण और किशोर जेना ने रजत पदक जीता था। निशानेबाजों ने सबसे पहले 22 पदक भारत की झोली में डाले जिसने भारतीय खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाया।
भारत ने जीते कुल 107 पदक-
अब जिस तरह भारत ने चीन में हुए एशियाई खेलों में 107 पदकों के जादुई आंकड़े को छुआ है उसे देखकर यह लगता है कि 2024 के पेरिस ओलिंपिक के लिए भी भारत तैयार हो रहा है। भारत के कई खिलाड़ियों को ओलंपिक कोटा भी हासिल हो गया है। बता दें कि एशियाई गेम्स में भारतीय खिलाड़ियों की स्पर्धाएं शनिवार को खत्म हो गई। पदक तालिका में भारत चीन, जापान और दक्षिण कोरिया के बाद चौथे स्थान पर है। भारत ने 28 गोल्ड, 38 सिल्वर और 41 ब्रॉन्ज मेडल के साथ कुल 107 मेडल जीते, भारत ने अपने अभियान के आखिरी दिन 12 पदक जीते जिसमें छह स्वर्ण, चार रजत और दो कांस्य पदक है। इस बार निशानेबाजों ने 22 और एथलेटिक्स में 29 पदक आए हैं, जिससे भारत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सका।
इन्होने दिलाये अप्रत्याशित पदक-
इस बार भारतीय दल ने कई अप्रत्याशित पदक भी जीते, जिसमें महिला टेबल टेनिस टीम का कांस्य (सुतीर्था मुखर्जी और अहिका मुखर्जी) शामिल है। केनोइंग में अर्जुन सिंह और सुनील सिंह ने ऐतिहासिक कांस्य जीता। बैडमिंटन के पुरुष युगल में सात्विक साईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की जोड़ी ने स्वर्ण पदक जीत इतिहास रचा। कबड्डी में पुरुष और महिला टीमों ने जकार्ता में निराशा झेलने के बाद वापसी करते हुए स्वर्ण पदक जीते। युवा तीरंदाज ओजस देवताले और अभिषेक वर्मा ने कंपाउंड पुरुष व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण-रजत पदक हासिल किया। शतरंज में भी भारत की महिला और पुरुष टीम ने रजत पदक जीते।
इन खेलों में रही कमी-
इस बार भारत की तरफ से वेटलिफ्टिंग में कम खिलाड़ी चीन गए थे वहीं पहलवानी में जरूर निराशा हाथ लगी सिर्फ एक खिलाडी फाइनल तक पहुंचा और एक गोल्ड भी हाथ नहीं लगा कुछ कांस्य पदक जरूर हाथ लगे, जबकि भारत को पहलवानी से काफी पदक आने की उम्मीद थी। बॉक्सिंग में भारत को और अधिक अच्छा करने की आवश्यकता है।