भारत में फैले कोरोना वायरस के संबंध में डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नॉलिजी ने अपनी ख़ास रिपोर्ट हेल्थ मिनिस्टर हर्षवर्धन को सौंपा है, रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में लॉकडाउन बेहद सफल रहा, जिसके कारण भारत बहुत सारे मामले आने के बाद भी स्थिति भयावह नहीं है।
दरअसल, रिपोर्ट में यह सामने आया है कि भारत में कोरोना की A2a होलोटाइप, D614G, 19A और 19B स्ट्रेन जैसी कई अलग-अलग प्रजातियां थी। लेकिन यूरोप और सऊदी अरब से आये A2a होलोटाइप ने भारत में पकड़ बना ली। जबकि राजधानी दिल्ली में D614G प्रजाति का कोरोना फैला है।
रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में सबसे पहले जनवरी से जब वायरस फैला तो देश में वुहान से आया स्ट्रेन 19A और 19B भी था लेकिन ये केस A2a के मुकाबले कम थे। बाद में चीन से आया वायरस खत्म हो गया और सिर्फ A2a होलोटाइप ही रह गया।
बाद में लॉकडाउन की वजह से देश और दुनिया से संपर्क कट गया जिसकी वजह से देश में कोरोना वायरस की अन्य प्रजातियां नहीं आ सकीय और सिर्फ दो प्रजातियां रह गई इसमें भी राज्यों की सीमाएं सील होने की वजह से ये भी मिक्स नहीं हो पायी।
रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर दुनियाभर की ये प्रजाति भारत में होती और आपस में मिक्स हो जाती तो स्थिति भयावह होती और इलाज करने में भी दिक्कत आती, लेकिन अब जब एक ही तरह की प्रजाति ज्यादा है तो उससे लड़ना ज्यादा आसान होगा।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकार ने जो लॉकडाउन लगाया उससे वायरस को बड़े स्तर पर फैलने से रोकने में मदद मिली है, बता दें कि भारत में कोरोना से भारत की मृत्यु दर 2.15 प्रतिशत है, वहीं, जिन देशों में कोरोना की मिक्स प्रजातियां फैली हैं वहां पर मृत्यु दर दोगुनी से भी अधिक है।