उत्तराखंड की हरी भरी वादियों के बीच बुंरास का फूल पूरी तरह खिल गया है इस समय पिछले साल के मुकाबले जादा बुरांस देखने को मिल रहा है । हम सभी जानते हैं कि बुरांस का फूल हमे 2 से 3 महिने तक ही देखने को मिलता है यह फूल फाल्गुन ओर चैत के महिने मे खिलता है। बुंरास अपने सुन्दरता से उत्तराखंड की वादियों को ओर भी हंसीन बना देता है.
वैसे तो बुरांस हिमाचल ओर पहाडी राज्यो समेत नेपाल तक बहुतायत मे पाया जाता है लेकिन उत्तराखंड मे इसका सबसे जादा क्षेत्र है यह उत्तराखंड का राज्य वृक्ष भी है बुरांस Rhododendron (अंग्रेजी नाम) नेपाल का राष्ट पुष्प भी है।
बुरांस एक मेडिसन –
वेसे तो बुरांस के फूल का दवाई के रूप मे सालों से इस्ते माल किया जाता है.
इसका जूस बहुत टेस्टी होने के साथ स्वस्थ्य बर्धक भी है।
यह एक आयुर्वेदिक औषधि है यह आपके लीवर को प्रोटेक्ट करती है ओर हाई ब्लड परेसर को नियन्त्रित करती है। यह आपके स्किन के लिए भी फायदेमन्द है।
बुरांस के फूल का उपयोग कई हर्बल प्रोडक्टस् बनाने मे किया जाता है।
अस्थमा के रोगियों के लिऐ यह जीबन दायनि है इस फूल से अस्थमा के रोगियों के लिऐ दवाई बनाई जाती है।
उत्तराखंड मे बुरांस का उपयोग-
मुख्यतः पहाड़ो मे बुरांस के फूल को हम ऐसे ही तोड कर खा लेते हैं । लेकिन इसके अलावा इसका कई तरीको से उपयोग किया जाता है-
बुरांस की चटनी-
बुरांस की चटनी बहुत ही मजेदार होती है इसका खट्टा मिठा टेस्ट इसकी चटनी को मजेदार बनाते हैं
बुंरास की खटाई (रामौडी) –
युं तो गढ़वाल क्षेत्र मे लोग इसकी रामौडी बनाकर खाते हैं सायद आप मे से कम लोगो ने खाई हो लेकिन बुंरास के फूल को बारीक काटा जाता है जिसमे राई की पत्तियां, पुदिना ओर हरा प्याज बारिक काटा जाता है इसके बाद इसमे गांव का सिलवटा पीसा चटपटा नमक मिलाया जाता है । यह खटाई खाने के बाद आप सभी अन्य खटाई भूल जाऐंगै.
बुरांस का जूस –
बुंरास का जूस बनाना बहुत ही आसान है इसमे बुरांस के लाल फूल को चुन कर अलग किया जाता है ओर फिर इसे पानी मे पकाया जाता है बाद मे पक्की हुई पत्तियों को खेत मे खाद के लिऐ प्रयोग किय जाता है उबले हुऐ पानी मे इसका रस निकल जाता है जिसे आप ठण्डा करके चीनी मे घोलकर पी सकते हैं यदि आप इसे गर्मियों के लिऐ सुरक्षित रखना चाहते हैं तो इसमे दवाई मिलाकर इसे सुरक्षित रखा जा सकता है.
बुंरास एक रोजगार –
आज के समय में बुंरास कई लोंगो को रोजगार प्रधान कर रहा फरवरी मार्च के महिने मे लोग इस फूल को निकालना शुरू करते हैं ओर घर मे इसका जूस बनाकर दुकानदार ओर सरकारी निगम मे बेच देते हैं हांलाकि यह छोटे समय का रोजगार है लेकिन पुरे भारत मे इसकी मांग को देखते हुऐ इसके उत्तपादन मे हर साल इजाफा हो रहा है मेडिसियन के लिऐ भी जंगलो से इस फूल को तोडकर लाया जाता है यदि पैडों को क्षति ना पंहुचाऐं तो इसका कारोबार करने मे कोई प्रतिबन्ध नही है।
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