उत्तराखंड के कालजयी कवि और गायक नरेन्द्र सिहं नेगी जी की लेखनी कमाल की है। पहाड की नारी की मेहनत, लगन ओर पीडा को समावेश कर सबसे खूबसूरत यदि किसी ने लिखा है तो वे नरेंद्र सिंह नेगी जी हैं। उन्होंने पहाड़ की महिलाओं का दर्द सबसे करीब से देखा है क्योंकि वे हमेशा इसी परिवेश में पले-पढ़े हैं, उन्होंने हमेशा पहाड़ से प्रेम रखा और अपनी लेखनी और आवाज दोनों से ही लोगों का मनोंरजन करते रहे हैं।
उनका हर एक गीत कुछ न कुछ मेसेज जरूर देता है नेगी दा के गानों में पर्वतीय लोगों की पीड़ा रही है। इसलिए हर गाने के साथ वो पहाड़ और पहाड़ के लोगों की आवाज बन गए। आज उनका एक गीत बहुत याद आ रहा है जिसमे उन्होंने पहाड़ की नारी की पीड़ा के साथ उसकी महानता को कविता में फ़िरोया है। बोल हैं- “बेटी ब्वारी पहाड़ो की” एक बार इस गीत को पढ़कर गुनगुनाएं आपको क्या अहसास हुआ कमेंट में बताएं-
प्रीत सी कुंगली डोर सी छिन ये
पर्वत जन कठोर भी छिन ये
हमारा पहाडू की नारी.. बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-2
बिन्सिरी बीटी धान्यु मा लगीन, स्येनी खानी सब हरचिन-२
करम ही धरम काम ही पूजा, युन्कई ही पसिन्यांन हरिं भरिन
पुंगड़ी पटली हमारी बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-२
बरखा बतोन्युन बन मा रुझी छन, पुंगडा मा घामन गाती सुखीं छन-२
सौ सृंगार क्या होन्दु नि जाणी
फिफ्ना फत्याँ छिन गालोडी तिड़ी छिन
काम का बोझ की मारी बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-२
खैरी का आंसूंन आंखी भोरीं चा,मन की स्याणी गाणी मोरीं चा -2
सरेल घर मा टक परदेश, सांस चनि छिन आस लगीं चा
यूँ की महिमा न्यारी बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-२
दुःख बीमारी मा भी काम नि टाली,घर बाण रुसडू याखुली समाली-२
स्येंद नि पै कभी बिजदा नि देखि, रत्ब्याणु सूरज यूनी बिजाली
युन्से बिधाता भी हारी बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-२
प्रीत सी कुंगली डोर सी छिन ये
पर्वत जन कठोर भी छिन ये
हमारा पहाडू की नारी.. बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-2 पहाडू की बेटी ब्वारी-2